समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 फरवरी। संसद में बजट सत्र के पहले चरण का आज अंतिम दिन है. दोनों सदनों में इस सत्र के दौरान भी काफी हंगामा रहा. विशेषतौर पर अडानी से जुड़े कथित घोटाला मामले में विपक्ष ने सरकार पर खूब हमले किए. सत्र की शुरुआत 31 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधन के साथ हुई और फिर 1 फरवरी 2023 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट पेश किया गया. इस बीच कांग्रेस ने आज यानी 13 फरवरी 2023 को भी लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है.
दरअसल कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है. उन्होंने यह स्थगन प्रस्ताव बॉर्डर के हालात और चीन के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिया है. मनीष तिवारी चाहते हैं कि इन मुद्दों पर लोकसभा में विस्तार से चर्चा हो.
मनीष तिवारी ने स्थगन प्रस्ताव के पक्ष में कहा, ‘अप्रैल 2020 से ही चीन लगातार जमीन हथियाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. 16 जनवरी 2023 तक भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की 17 बैठकें हो चुकी हैं और इनमें बहुत ही कम सफलता हासिल हुई है. ‘
उन्होंने कहा, चीन लगातार सीमाई इलाकों में कई विकास कार्य कर रहा है. वह यहां पुलों की निर्माण कर रहा है. सड़कें बना बना रहा है और अपने सैनिकों के रहने के लिए घरों का निर्माण भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति को एकतरफा बदलने की साजिश है.
कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल के निलंबन और राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषणों के कुछ अंश निकाले जाने के बाद सदन की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दल सोमवार को बैठक करेंगे. समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक संसद भवन में होगी. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि केंद्र पीठासीन अधिकारियों पर अनुचित दबाव डालकर सच्चाई को छिपाने की साजिश कर रहा है. खड़गे ने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों पर अनुचित दबाव डालकर सच्चाई को छिपाने और जेपीसी जांच की मांग को दबाने की साजिश कर रही है.
उनकी यह टिप्पणी राहुल गांधी और खड़गे के क्रमश: लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए भाषणों के कुछ हिस्सों को पीठासीन अधिकारियों द्वारा निकाले जाने के बाद आई है. खड़गे ने कहा कि संसद के अंदर और ‘जन संसद’ दोनों जगह सवाल पूछे जाएंगे. उन्होंने पूछा, क्या अडाणी घोटाले की जांच नहीं होनी चाहिए? क्या अडाणी की कंपनियों में निवेश किए गए एलआईसी के पैसे के गिरते मूल्य पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए? क्या एसबीआई और अन्य बैंकों द्वारा अडाणी को दिए गए 82 हजार करोड़ रुपये के ऋण के बारे में सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए?