मिर्च-मसाला: नाराज़ महारानी को भाजपा ने ऐसे मनाया 

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त्रिदीब रमण 
’तेरा यूं रूठ जाना तेरी आदतों में शुमार है
हम साये की तरह तेरी पलकों पर ठहरे रहे
और तुम धूप की तरह मेरी जिंदगी में आते-जाते रहे’
क्या वसुंधरा राजे सिंधिया और भाजपा दिल्ली शीर्ष के दरम्यान उस शह-मात के खेल पर विराम लग गया है, ‘ना तुम हारे ना हम जीते’ की तर्ज पर वसुंधरा और भाजपा शीर्ष के बीच हुई हालिया संधि के बाद राजस्थान भाजपा ने भी एक लंबे अंतराल के बाद चैन की सांस ली है। अब तक भाजपा के परचम-पोस्टर से नदारद रहने वाली महारानी की न सिर्फ भगवा खेमे में सहर्ष वापसी हो गई है, बल्कि अब वह भाजपा के आधिकारिक कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगी हैं। सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ समय से राजस्थान की सीट दर सीट भाजपा का सर्वेक्षण कार्य चल रहा था, इस सर्वेक्षण के नतीजों ने पार्टी शीर्ष को बाखबर कर दिया कि ’बिना वसुंधरा को साथ लिए राजस्थान में गहलोत फैक्टर से पार पाना किंचित आसान नहीं रहेगा।’ राजस्थान के विधानसभा चुनावों में दस महीनों से भी कम का वक्त बचा है। अब तक राज्य में वसुंधरा के अलग कार्यक्रम चल रहे थे और प्रदेश भाजपा के अलग। पर अब उम्मीद जताई जा रही है कि वसुंधरा के जन्मदिन के मौके पर 4 मार्च को चुरू के सालासर में जो भव्य कार्यक्रम आयोजित है उसमें वसुंधरा के पीछे भाजपा की प्रदेश इकाई भी कदमताल करती नज़र आएंगी, यूं तो वसुंधरा का जन्मदिन 8 मार्च को आता है, चूंकि इस बार 8 मार्च को होली आ गई है सो वसुंधरा ने अपने जन्मदिन के कार्यक्रम को 4 दिन पहले खिसका लिया है। वैसे भी राजस्थान भाजपा के एक महत्वपूर्ण नेता गुलाब चंद कटारिया को जब से गवर्नर बना कर जयपुर से बाहर का रास्ता दिखाया गया है, तब से ही इन कयासों को बल मिल रहे हैं कि भाजपा की ओर से राज्य में नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा की सहमति से बनाया जाएगा, क्योंकि माना जा रहा है कि राज्य के 70 में से 40 विधायक वसुंधरा कैंप से ताल्लुक रखने वाले हैं। वैसे तो नेता प्रतिपक्ष के लिए वसुंधरा का दावा ही सबसे मजबूत है।
राहुल के प्रस्ताव को उमर की ’ना’
पिछले दिनों जब राहुल और प्रियंका गांधी कश्मीर के गुलमर्ग में बर्फ में स्कीईंग कर रहे थे तो उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह को भी साथ स्कीईंग करने का आमंत्रण भेजा था। उमर तो इसके लिए एकदम से मान भी गए थे पर उनके पिता फारूक अब्दुल्लाह ने इस आइडिया को सिरे से नकार दिया, कहते हैं उन्होंने उमर को लगभग लताड़ने वाले अंदाज में कहा-’आपको जरा भी इस बात का गुमान है कि आप को यूं स्कीईंग का लुत्फ उठाते देख राज्य की कश्मीरी जनता क्या सोचेगी? इसका क्या पॉलिटिकल मैसेज जाएगा?’ उमर अपने पिता की बात को टाल नहीं पाए और उन्होंने राहुल से आने को मना कर दिया। इसके बाद राहुल का डिनर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के साथ तय था। पर जब सोशल मीडिया में राहुल की स्कीईंग की फोटो इस कदर वायरल हो गई तो महबूबा ने भी बहाना कर यह डिनर रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि ’वह पार्टी के जम्मू-अधिवेशन में शरीक होने जा रही हैं, सो डिनर पर आ पाना उनके लिए मुमकिन नहीं हो पाएगा।’ लगता है अभी भी राहुल को राजनैतिक संकेतों को पढ़ने में थोड़ा वक्त लग रहा है।
चौटाला परिवार से भाजपा का तालमेल बना रहेगा
हरियाणा को लेकर अभी दिल्ली में भाजपा नेताओं की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, सूत्रों की मानें तो इस बैठक में आम राय से यह निर्णय हुआ है कि ’2024 का चुनाव भाजपा जजपा के साथ मिल कर लड़ेगी।’ भाजपा का अपना फोकस गैर जाट वोटरों की गोलबंदी पर रहेगा, पर पार्टी जानती है कि चौटाला की जजपा जाट वोट बैंक में एक बड़ा सेंध लगाने का माद्दा रखती है, पार्टी रणनीतिकारों का पक्के तौर पर भरोसा है कि जननायक जनता पार्टी कम से कम 30 फीसदी जाट वोट अपने साथ जोड़ सकती है। भाजपा रणनीतिकार जानते हैं कि आने वाले चुनाव में अगर दुष्यंत जाट वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहते हैं तो अपने गैर जाट वोट बैंक पर बड़ा दांव चल कर भगवा पार्टी चुनावी वैतरणी पार कर सकती है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली की इस अहम बैठक में यह भी तय हुआ है कि 2024 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदला नहीं जाएगा, साथ ही 24 के चुनाव में भाजपा थोकभाव में अपने मौजूदा सांसदों के टिकट काट देगी, उसकी जगह पार्टी नए चेहरों पर दांव लगाना चाहती है।
अगड़ों से दूरी बनाते अखिलेश
यह तो अब अखिलेश करीबियों को भी लगता है कि रामचरित मानस मामले को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इतनी परिपक्वता से हेंडल नहीं कर पाए। इस मामले में जल्दबाजी दिखा अखिलेश ने राज्य की अगड़ी जातियों से बिलावजह रार ठान ली है। स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी पर त्वरित विरोध दर्ज कराने वाली सपा प्रवक्ता ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को अखिलेश ने इस विवाद के बाद यह कहते हुए पार्टी से निकाल दिया कि ’ये दोनों नेत्रियां पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं।’ दरअसल, मौर्य ने जब मानस को लेकर बयान दिया था तब अखिलेश लंदन में थे, ऋचा और रोली दोनों ही अखिलेश से संपर्क करने की कोशिश करती रहीं, पर सपा सुप्रीमो से इनका संपर्क नहीं हो पाया। थक-हार कर ऋचा सिंह ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को लंबा मैसेज लिखा और उनसे कहा कि ’आप भी क्षत्रिय की बेटी हैं, आप यह सब कैसे सहन कर रही हैं?’ डिंपल ने ऋचा और रोली की बातों को किंचित गंभीरता से लिया और अखिलेश को सीधे लंदन फोन लगा कर कहा ’पार्टी में यह सब क्या चल रहा है?’ अखिलेश ने डिंपल से बात करने के बाद फौरन ऋचा और रोली को फोन कर वहीं से हड़काया, पर ये दोनों नेत्रियां भी अपनी बातों पर अड़ी रहीं, कहा-’अगर हमारी बात सुनी नहीं गई तो हम धरना देंगे।’ यह बात सुन कर अखिलेश गुस्से में आग बबूला हो गए और दोनों को उसी वक्त पार्टी से बाहर का दरवाजा दिखा दिया।
समय से पहले हो सकते हैं तेलांगना चुनाव
तेलांगना के मुख्यमंत्री केसीआर अपनी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार चाहते हैं, वे घूम-घूम कर अलग-अलग राज्यों का दौरा भी कर रहे हैं और गैर भाजपाई क्षत्रपों के निरंतर संपर्क में भी हैं और वे चाहते हैं कि ’वे विपक्षी एका की एक प्रमुख धुरी बन कर उभरे।’ केसीआर को इस बात का भी बखूबी इल्म है कि राष्ट्रीय फलक पर उनके इस नव अभ्युदय को लेकर उनकी राज्य की जनता में भी खासा जोश है। सूत्र बताते हैं कि केसीआर के निजी ज्योतिष ने उन्हें सलाह दी है कि ’अगर वे राज्य में समय पूर्व चुनाव करा दें तो धूम-धड़ाके के साथ फिर से उनकी सत्ता में वापसी हो सकती है।’ माना जाता है कि उनके ज्योतिष ने राज्य में चुनाव के लिए सितंबर 2023 का वक्त सबसे मुफीद बताया है, जबकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 16 जनवरी 2024 तक है। कहते हैं ज्योतिष की सलाह के बाद केसीआर ने अपने खास वफादारों की एक बैठक बुलाई और कहा कि ’आप लोग अभी से समय पूर्व चुनाव की तैयारियों में जुट जाइए।’
ओवैसी की चिंता में केंद्र सरकार
पिछले दिनों असदुद्दीन ओवैसी के अशोक रोड स्थित उनके नई दिल्ली के सरकारी आवास पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, ओवैसी इस घटना से इतने क्षुब्ध हो गए कि उन्होंने हुंकार भर दी कि ’वे दिल्ली में मुसलमानों का एक बड़ा मोर्चा निकालेंगे, अपना विरोध दर्ज कराने के लिए।’ इसके तुरंत बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने ओवैसी को फोन कर कहा कि ’उनकी सुरक्षा की उन्हें फिक्र है, उनकी सुरक्षा के चाक-चौबंद प्रबंध किए जाएंगे।’ ओवैसी तो उस वक्त सुखद आश्चर्य में पड़ गए जब उन्हें सीधे देश के गृह मंत्री अमित शाह का फोन आ गया, शाह ने कहा-’यह गलत हुआ है, पुलिस इस पर त्वरित कार्यवाई करेगी।’ इसके साथ ही चौबीस घंटे के अंदर ओवैसी की सुरक्षा बढ़ा दी गई, सरकार ने यह वाकई जता दिया कि सचमुच वह ओवैसी की कितनी फिक्र करती है।
कैप्टन क्यों नहीं बनें गवर्नर
पिछले दिनों दर्जन भर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति हुई, सूत्र बताते हैं कि इस सूची में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम भी शामिल था। उन्हें कई विकल्प भी दिए गए थे, महाराष्ट्र से अलहदा उन्हें राजस्थान, हिमाचल, हरियाणा जैसे राज्यों के भी विकल्प दिए गए, पर बताते हैं कैप्टन पंजाब छोड़ कर कहीं और जाने को बिल्कुल ही तैयार नहीं हुए। इस बात को लेकर कैप्टन के समर्थकों में भी निराशा व्याप्त है, वे चाहते थे कि कैप्टन को केंद्र सरकार किसी न किसी रूप में अवश्य सक्रिय रखें।
…और अंत में
अब तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की तारीखों को लेकर जितनी भी अटकलें लगी, उनमें से कोई भी मुकम्मल तस्वीर नहीं बन पाई। पर सत्ता शीर्ष से उठने वाले कयासों के धुओं की भला कैसे अनदेखी की जा सकती है। 22 फरवरी से पहले मंत्रिमंडल विस्तार का खम्म ठोक कर दावा करने वाले वही सूत्र कहते हैं कि ’सिर्फ वसुंधरा और राजस्थान की वजह से वह मियाद टल गई।’ विस्तार की नई तारीख ये तीन मार्च की बता रहे हैं, कहते हैं 2 मार्च को त्रिपुरा, मेघालय व नगालैंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाएंगे और 3 मार्च को मोदी मंत्रिमंडल का चिर प्रतीक्षित विस्तार हो जाएगा। इस विश्वसनीय सूत्र का दावा है कि इस बारे में राष्ट्रपति भवन को भी इत्तला भेज दी गई है। (एनटीआई-gossipguru.in)

 

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