Happy Birthday: छह स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला बॉक्सर थी मैरी कॉम, देश की तमाम महिलाओं के लिए बनी प्रेरणादायक
विश्व चैम्पियनशिप (महिला और पुरुष) में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाली मुक्केबाज है मैरीकॉम
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 मार्च। एमसी मैरी कॉम ने अपने दमदार प्रदर्शन के दम पर भारत का नाम रोशन किया है। गरीब घर में जन्मी मैरी कॉम का जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा है। अपने परिवार की मदद करने के लिए वह उनके साथ काम करती थीं। मेरी ने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मैरी कॉम समस्त देशवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है…
जीवन परिचय
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था। ये चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। मैरीकॉम की शादी ओन्लर कॉम से हुई है। उनके जुङवां बच्चे हैं।
शिक्षा
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से पूरी की। आगे की पढाई के लिये वह आदिमजाति हाई स्कूल, इम्फाल गए लेकिन परीक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और फिर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी।
उपलब्धियां
मैरी कॉम 8 बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। 2010 के ऐशियाई खेलों में कांस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। साल 2009 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया। इसके बाद साल 2006 में मैरी को नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
करियर
साल 2001 में महिला बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखने के बाद उन्होंने सभी आठ एआईबीए विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पदक हासिल किए, जिसमें छह स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य जो उन्होंने आखिर में 2019 में जीता था, एक फ्लाईवेट बॉक्सर के तौर पर मैरी एआईबीए विश्व रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंची। 2012 लंदन ओलंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करते हुए निकोला एडम्स से हारने के बाद मैरी कॉम ने कांस्य पदक हासिल किया था।
2016 में मैरी कॉम राज्यसभा की सदस्य बनी।