बेटी का हक़ : देश की सर्वोच्च अदालत ने बताया ये कानून ,पिता की प्रॉपर्टी पर अब होगा बेटियों का अधिकार
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 मार्च। देश की सर्वोच्च अदालत जनमानस को नए जमाने के मुताबिक मोड़ने की महत्वपूर्ण भूमिका बखूबी निभाती रही है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने पिता की अपनी कमाई संपत्तियों में बेटियों के अधिकार को लेकर गुरुवार को एक बड़ा फैसला दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने हिंदू परिवार की बेटियों को उस स्थिति में अपने भाइयों या किसी अन्य परिजन के मुकाबले पिता की संपत्ति में ज्यादा हकदार बताया है जब पिता ने कोई वसीयतनामा नहीं बनाया हो और उनकी मृत्यु हो जाए। आइए विस्तार से जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है और नया फैसला आने के बाद क्या बदल जाएगा…
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बिना वसीयत के मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की स्व-अर्जित और अन्य संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा वरीयता होगी। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि हिंदू पुरुष ने वसीयत नहीं बनाई हो और उसकी मृत्यु हो जाए तो उसे विरासत में प्राप्त संपत्ति और खुद की अर्जित संपत्ति, दोनों में उसके बेटों और बेटियों को बराबर का हक होगा।
जिसे भाई नहीं हो, उसे भी पिता की संपत्ति मिलेगी
कोर्ट ने साफ किया कि अगर कोई हिंदू पुरुष का पुत्र नहीं हो और वसीयनामे के बिना उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी विरासत और स्व-अर्जित संपत्तियों पर उसकी बेटी का अधिकार उसके चचेरे भाई के मुकाबले ज्यादा होगा। कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि मिताक्षरा कानून में सहभागिता और उत्तरजीविता की अवधारणा के तहत हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा सिर्फ पुत्रों में होगा और अगर पुत्र नहीं हो तो संयुक्त परिवार के पुरुषों के बीच होगा।