प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एफएसएसएआई द्वारा तैयार पुस्तक, ‘‘श्री अन्न: ए होलिस्टिक ओवरव्यू’’का विमोचन किया
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने दो दिवसीय वैश्विक पोषक अनाज (श्री अन्न) सम्मेलन के अवसर पर चिंतन बैठक सत्र का आयोजन किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19मार्च। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटित वैश्विक पोषक अनाज (श्री अन्न) सम्मेलन के अवसर पर मोटे अनाजों के प्रचार और जागरूकता पर तकनीकी सत्रों के साथ एक संगोष्ठी आयोजित कर रहा है। यह दो दिवसीय वैश्विक पोषक अनाज (श्री अन्न) सम्मेलन शनिवार को नई दिल्ली के पूसा स्थित एनएएससी परिसर में आरंभ हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा तैयार मोटे अनाजों पर मानकों पर आधारित ‘‘श्री अन्न : एक समग्र अवलोकन’’ नामक एक पुस्तक का डिजिटल रूप से विमोचन किया।
एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी. कमला वर्धन राव ने अपने स्वागत भाषण में दो दिवसीय सम्मेलन के लिए परिप्रेक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘हम विश्व की सबसे प्राचीन फसल के वर्तमान और भविष्य की फसल बनने के साथ एक कृषि पुनर्जागरण का अवलोकन कर रहे हैं।’’
सत्र के सम्मानित अतिथि नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने अपने संबोधन में कहा कि मोटे अनाज उपभोक्ता, किसान और जलवायु के लिए बढि़या हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने अपने थीम भाषण में इस बात को रेखांकित किया कि जहां ऐतिहासिक रूप से मोटे अनाजों की खेती की जाती रही है, मोटे अनाजों की खेती के तहत कुल क्षेत्रफल में अत्यधिक कमी आई है। उन्होंने कहा कि यह सही समय है जब हम इस नेक अभियान पर आगे बढ़ते हुए गिरावट के मूल कारण की पहचान करें और उसका समाधान करें।
मुख्य कार्यक्रम के बाद, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मोटे अनाजों के स्वास्थ्य और पोषण लाभों पर आयोजित एक सम्मेलन दिन के दूसरे पहर में एनएएससी परिसर के एपी शिंदे संगोष्ठी सभा कक्ष में आरंभ हुआ। विश्व भर के कई विख्यात विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और पहले दिन तीन अलग-अलग सत्रों में श्री अन्न (पोषक अनाज) के महत्व पर प्रकाश डाला।
सत्र में विशेष वक्ता के रूप में, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के एशिया-प्रशांत के सहायक महानिदेशक और क्षेत्रीय प्रतिनिधि जोंग-जिन किम ने रेखांकित किया कि एफएओ भारत एवं विश्व स्तर पर उत्पादन, बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण और बेहतर पर्यावरण के लिए सक्षमकारी और सहायक कार्य योजनाओं के लिए अपनी जिम्मेदारी के प्रति वचनबद्ध है। यूनिसेफ इंडिया के मुख्य पोषण अधिकारी अर्जन डी वाग्ट ने मोटे अनाजों को बच्चों और किशोरों के लिए पोषण का भंडार बताते हुए कहा कि मोटे अनाजों में विविध वृहद और सूक्ष्म पोषक तत्व इसे ‘पोषण शक्ति’ बनाते हैं और खाद्य बास्केट में मोटे अनाजों को शामिल करने से यह एक ‘इंद्रधनुष आहार’ बन जाएगा। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग पौष्टिक और संतुलित आहार के बारे में जागरूक हों, ‘आहार साक्षरता’ के महत्व पर भी बल दिया।
अधिवेशन के दूसरे सत्र में सुपरफूड के रूप में मोटे अनाजों के महत्व पर चर्चा की गई। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने इस सत्र का संचालन किया। एफएओ के भारतीय प्रतिनिधि डॉ. अजीज एलबेहरी, भारत में ब्राजील के दूतावास के कृषि प्रतिनिधि एंजेलो डी क्विरोज मौरिसियो, जर्मनी के दूतावास के काउंसलर इंग्बोर्ग बेयर, अर्जेंटीना के दूतावास के मारियानो बेहरान और भारत में कनाडा के उच्चायोग में कृषि सलाहकार नितिन वर्मा ने नीति निर्धारण की आवश्यकता पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की और वर्तमान बाजार स्थिति और मोटे अनाजों के लिए बाजार की मांग सृजित करने पर बल दिया।
सम्मेलन के तीसरे सत्र का संचालन वरिष्ठ खेल पत्रकार अयाज मेमन ने किया और इसमें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव, राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पहलवान गीता फोगाट, एथलेटिक्स चैंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज, भारतीय बैडमिंटन टीम के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद प्रमुख सहित प्रसिद्ध खिलाड़ियों ने ‘मोटे अनाजों के लाभों का वर्णन और कल्याण’ विषय पर अपने विचार साझा किए। पैनल चर्चा में खेल के प्रारूप और प्रकार पर आधारित विशिष्ट और अनुकूलित आहार की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी गई।
सभी तीनों सत्रों में सभागार में बैठे लोगों द्वारा मोटे अनाजों और उनके स्वास्थ्य लाभों के संबंध में कई रोचक प्रश्न भी पूछे गए।
इस सम्मेलन का उद्देश्य पोषण विशेषज्ञों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग के अग्रणी व्यक्तियों, अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं और प्रमुख हितधारकों को सरकार की विभिन्न पहलों को आगे बढ़ाने में शामिल करना और मोटे अनाजों के उपभोग, स्वास्थ्य लाभ, अनुसंधान, नवोन्मेषण, वहनीयता और खाद्य प्रणाली रूपांतरण पर विचार-विमर्श करना है।
इस सम्मेलन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में सचिव मनोज आहूजा, डेयर के सचिव एवं महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. हिमांशु पाठक, एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी कमला वर्धन राव, इथियोपिया की राष्ट्रपति सहले-वर्क जेवडे और गुयाना के सहकारी गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली की वर्चुअल उपस्थिति, मोटे अनाज उत्पादक देशों और गाम्बिया, गुयाना, नाइजर, श्रीलंका, सूडान, सूरीनाम, मालदीव, मॉरीशस जैसे आयातक देशों के विभिन्न कृषि मंत्रियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, इस सम्मेलन में अकादमिक, उद्योग, यूनिसेफ इंडिया, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), कृषि विज्ञान केन्द्र जैसे विकास साझीदार और विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।