क्या वास्तव में सेना के जवान प्रतीश ने महिला के साथ यौन दुर्व्यवहार किया,कितना सच है?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 मार्च। पिछले शुक्रवार को, केरल पुलिस ने एक सेवारत जवान को तब गिरफ्तार किया जब एक मुस्लिम छात्रा ने यह दावा किया था कि उस सैनिक ने उसे शराब पिलाई और उसके साथ छेड़छाड़ की। शिकायत के बाद, अलप्पुझा पुलिस ने पठानमथिट्टा के मूल निवासी प्रतीश कुमार (31) को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि जो अब नए समाचार आ रहे हैं, उनके अनुसार यह आरोप झूठे हो सकते हैं।

घटना गुरुवार रात राजधानी एक्सप्रेस में हुई। शिकायतकर्ता कर्नाटक में उडुपी के पास मणिपाल विश्वविद्यालय की छात्रा है और वह तिरुवनंतपुरम की रहने वाली है। उसने दावा किया कि छेड़छाड़ एर्नाकुलम और अलप्पुझा के बीच हुई थी। घटना के समय दोनों घर लौट रहे थे।

प्रतीश वर्तमान में जम्मू और कश्मीर में कार्यरत है और छुट्टी मनाने के लिए घर आ रहा था। मुस्लिम महिला ने दावा किया कि सेवारत जवान ऊपर की बर्थ पर चढ़ गया और उससे दोस्ती कर ली। उसने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसे शराब का सेवन करने के लिए मजबूर किया और जब उसे नशा हुआ तो उसका यौन उत्पीड़न किया।

कथित पीड़िता उडुपी से ट्रेन में बैठी थी। दिलचस्प बात यह है कि उसके पति ने शुक्रवार शाम तिरुवनंतपुरम रेलवे पुलिस से शिकायत की। तुरंत केरल पुलिस प्रतीश के घर गई और उसे गिरफ्तार कर लिया।

प्रतीश ने यह माना कि उसने महिला के साथ शराब साझा की लेकिन यह कहा कि उसने उसका यौन शोषण नहीं किया था। केरल पुलिस ने मुस्लिम महिला के बयान पर विश्वास किया। वामपंथी/जिहादी-झुकाव वाले मीडिया ने इस कहानी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और ‘बलात्कारी जवान’ के बारे में लिखा। सिराज न्यूज, जो आल इंडिया सुन्नी जामियाथुल उलमा का मुखपत्र है, उसने कहा कि महिला का पिछले एक महीने से अवसाद का इलाज चल रहा था।

चूंकि घटना एर्नाकुलम और अलप्पुझा के बीच हुई थी, इसलिए मामला अलप्पुझा रेलवे पुलिस को सौंप दिया गया था। रेलवे पुलिस एर्नाकुलम के डीवाईएसपी मनोज कबीर, एर्नाकुलम सर्किल इंस्पेक्टर क्रिस्पिन सैम और अलप्पुझा के सब इंस्पेक्टर एच एस शनिफ के नेतृत्व में एक टीम ने प्रतीश को गिरफ्तार किया। केरल कौमुदी ने बताया कि प्रतीश पर बलात्कार का आरोप लगाया गया था, प्रतीश को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों के लिए रिमांड पर लिया गया और अलप्पुझा सबजेल भेज दिया गया।

कुछ विरोधाभास:
रेलवे पुलिस अब दावा करती है कि मामला रहस्यमय है और वह अब न्यायालय का सहारा लेने जा रही है। उन्होंने कथित पीड़िता से एक 164 बयान दर्ज करवाना चाहा। लड़की ने पुलिस को बताया कि शीतल पेय में चोरी-छिपे शराब मिलाकर प्रतीश ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया। बाद में महिला ने कथित तौर पर कबूल किया कि उसने अपनी मर्जी से शराब मांगी और पी ली।

पुलिस का दावा है कि उन्होंने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर प्रतीश को गिरफ्तार किया। फिर भी यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि राजधानी जैसी ट्रेन, जिसमें केरल से ही लोग चढ़े हुए होते हैं, तो ऐसे में यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में एक भारतीय सैनिक इस तरह की घटिया शरारत करेगा, यह मानना भी मूर्खता है।

प्राथमिक तार्किक प्रश्न यह था कि जब डिब्बे में कई अन्य यात्री थे तो कथित उत्पीड़न कैसे हुआ। रेलवे पुलिस ने एक ही डिब्बे में सफर करने वाले कई यात्रियों से संपर्क किया। सभी ने जवाब दिया कि उन्होंने ऐसी घटना कभी नहीं देखी। कोई चश्मदीद नहीं है, इसलिए पुलिस लड़की के बयान की पुष्टि नहीं कर सकती।

जन्मभूमि ने बताया कि हालांकि पीड़िता का मेडिकल परीक्षण किया गया था, लेकिन यौन उत्पीड़न के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं है। इस कारण जांच अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज कर महिला के 164 के बयान कोर्ट में दाखिल करने का फैसला किया है। इस तरह के बयान ठोस सबूत नहीं हैं और केवल पुष्टि के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

मुस्लिम महिला ने कथित तौर पर अपने पति और मां को बताया कि उसने स्वेच्छा से शराब पी और सो गई। बाद में उसे ऐसा ‘महसूस’ हुआ, जैसे किसी ने उनके शरीर के अंगों को छुआ हो। रेलवे अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं क्योंकि लड़की अभी भी अपने बयान पर अड़ी है कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी।

वहीं यह भी दुखद है कि प्रतीश के वरिष्ठों को सूचना मिली कि ट्रेन में एक महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है और जवान को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके आधार पर प्रतीश के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस बीच, विशेषज्ञों का मानना है कि इस अपराध को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि मामले की जांच किसी तीसरे पक्ष द्वारा की जाए।

यह बहुधा देखा गया है कि शिक्षित कट्टरपंथी इस्लामवादी केरल की महिलाएं कई कारणों से भारतीय अधिकारियों, विशेषकर हमारे सैन्य कर्मियों से नफरत करती हैं। वे लंबे समय से कश्मीर में सेवा देने वालों को निशाना बनाते रहे हैं। कम्युनिस्टों और जिहादियों ने एक घटिया नैरेटिव तैयार कर लिया है कि हमारे फौजी अधिकारी बलात्कार और लूटपाट में लिप्त हैं।

मिलिट्री इंटेलिजेंस को कहानी के दोनों पक्षों की जांच करनी चाहिए और सच्चाई का खुलासा करना चाहिए। स्थानीय मीडिया ने मामले में ताजा खुलासे की खबरों से किनारा कर लिया।

यह भी दुर्भाग्य की बात है कि पिछले छह महीनों में केरल से एक सेवारत जवान के खिलाफ कथित रूप से झूठे आरोप लगाने का यह तीसरा उदाहरण है। हिन्दूपोस्ट पर ऐसी घटनाओं के विषय में हमने निरंतर लिखा है। आशा है कि हमारे रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय हमारे समाज में हाल के बदलावों की निगरानी कर रहे हैं।

साभार- https://hindupost.in/

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