मंत्री लखमा के बयान ‘आदिवासी नहीं हैं हिंदू’ मामले पर बवाल: भाजपा बोली-कांग्रेस हिंदू बांटों की रणनीति पर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 मार्च। मंत्री कवासी लखमा के बयान के बाद अब बवाल शुरू हो गया है। भाजपा आदिवासी हिंदू नहीं… मंत्री के इस बयान का विरोध कर रही है। भाजपा के आदिवासी नेता और अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने कहा है कि प्रदेश के कांग्रेसी ‘हिंदू बांटो’ की रणनीति के तहत चलाना चाहते हैं। सरकार के मंत्री कवासी लखमा का यह कहना कि ‘आदिवासी हिन्दू नहीं है और हम आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड मांगते हैं’, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और हिन्दुत्व की व्यापक अवधारणा को नकारने की शर्मनाक राजनीतिक विवशता का परिचायक है।

भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मरकाम ने कहा कि, कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में एक एजेंडा तय कर रखा है कि किसी भी तरह से हिंदुओं को बांटा जाए। उसी एजेंडे के तहत अनुसूचित जनजाति आयोग के कार्यक्रम में प्रदेश की भूपेश सरकार के मंत्री कवासी लखमा ने यह बयान दिया है। कांग्रेस के इसी हिंदू बांटो एजेंडे के तहत बस्तर में सरकार के प्रश्रय में धर्मांतरण करने वालों की गतिविधियाँ बहुत बढ़ गई हैं। अब वे एकत्र होकर आदिवासियों पर हमले करने लगे हैं। नारायणपुर में 300-400 की संख्या में एकत्र होकर उन्होंने आदिवासियों पर हमले किए।

कांग्रेसियों को चेताया
भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मरकाम ने दो टूक शब्दों में कहा कि कांग्रेसियों को यह बात अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि कांग्रेस, के मंत्री कितनी भी कोशिश कर लें, आदिवासी समाज की सभ्यता-संस्कृति को वे नष्ट नहीं कर सकते, और न ही हिंदुओं को बांट सकते। हम भारत में रहने वाले सारे हिंदू, चाहे वह किसी भी देवता को मानते हों, मैदानी क्षेत्र में रहते हों या वनवासी क्षेत्र में, हम सब एक हैं। हिन्दुओं को बांटने और धर्मांतरण के घातक एजेंडे की आड़ में आदिवासियों की सभ्यता-संस्कृति को नष्ट करने का कांग्रेसी षड्यंत्र कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा।

मंत्री कवासी लखमा ने ये कहा था
एक बार फिर कवासी लखमा ने कहा है कि, आदिवासी हिन्दू नहीं है। इसलिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के आदिवासी दिल्ली कूच करेंगे। जिस तरह से जैन धर्म को अलग कोड दिया गया है। उसी तरह आदिवासी भी अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं। आदिवासी हिन्दू नहीं है। यहां के मूल निवासी आदिवासी हैं। जंगल और पहाड़ की रक्षा करने वाले आदिवासी हैं। इसलिए 20 अप्रैल के आसपास प्रदेशभर से आदिवासी दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से अलग धर्म कोड की गुहार लगाएंगे।

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