इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस का आखिरकार हृदय परिवर्तन हो ही गया. अब सही मायने में उसे ‘दिल की पुलिस’ कहा जा सकता है.अब बिना किसी भेदभाव के वह सभी को एक ही नजर से देखने लगी है. एक ही लाठी से वह अब सब को हांक रही है.
शिकायतकर्ता/ पीड़ित आम आदमी हो या पुलिस अफसर वह एफआईआर आसानी से दर्ज न करने की अपनी परंपरा को अब पूरी ईमानदारी से निभा रही है.
पुलिस अफसरों ने कभी ये सोचा भी नहीं होगा, कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए उन्हें कमिश्नर से गुहार लगानी पडे़गी. कमिश्नर तक अपनी फरियाद पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेना पडे़गा.
दिल्ली पुलिस द्वारा आम आदमी की एफआईआर दर्ज न करने की शिकायतें तो आम है
लेकिन अब दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त एसीपी ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की.
इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी को एफआईआर दर्ज कराने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा.
ग्रिल चोरी-
सेवानिवृत्त एसीपी महिपाल सिंह के बेटे विकास चौधरी की युसूफ सराय मार्केट में एक दुकान है.दुकान उन्होंने मैक्स लैब को किराए पर दी हुई है.
उस दुकान के ऊपर की मंजिल पर स्वैगी इंस्टरामार्ट वालों का स्टोर है.
महिपाल सिंह का आरोप है ये लोग अपना सामान/कचरा/डिब्बे आदि उनकी दुकान के सामने डाल देते हैं. जिससे उनकी दुकान में आने जाने वालों को रास्ता अवरुद्ध होने से परेशानी होती है.
इसलिए उन्होंने दुकान के सामने स्टील की ग्रिल लगवा दी.
21 जनवरी 2023 को वह ग्रिल चोरी हो गई. पुलिस को सूचना दी गई. पीसीआर और हौजखास थाने का सब- इंसपेक्टर सुमित कुमार आदि पुलिसकर्मी आए. पीसीआर पर तैनात हवलदार भजन लाल ने प्रथम तल पर स्थित स्टोर से ग्रिल बरामद भी कर ली.
प्रक्रिया का पालन नहीं-
पुलिस कर्मी ग्रिल थाने ले गए. महिपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने हौजखास थाना के एसएचओ शिव दर्शन शर्मा को बताया कि पुलिस ने तफ्तीश की अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. मौके मौजूद लोगों के बयान दर्ज नही किए और बिना फरहद बनाए ही पुलिस ग्रिल थाने ले गई.
एफआईआर दर्ज नही की-
महिपाल सिंह के बेटे विशाल ने लिखित शिकायत हवलदार अशोक को दी.लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की.
एक महीने बाद माल खाने में जमा-
विशाल ने 3 मार्च को आरटीआई लगाई, जिससे पता चला कि पुलिस ने 22 फरवरी को ग्रिल को 66 दिल्ली पुलिस एक्ट में मालखाने में जमा किया है.
इस मामले ने हौज खास पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस ने चोरी की गई ग्रिल स्वैगी वालों के यहां से बरामद की थी, तो फरहद बनाए बिना वहां से क्यों ले गए. चोरी का मामला दर्ज क्यों नहीं किया? पुलिस ने वारदात के एक महीने बाद ग्रिल डीपी एक्ट में क्यों जमा की?
अमानत में ख्यानत-
सेवानिवृत्त एसीपी महिपाल सिंह ने बताया कि उन्हें जो ग्रिल वापस दी गई, वह बदली हुई है, मतलब उनकी ग्रिल बदल दी गई.
उन्होंने हौज खास थाने के एसएचओ से भी बात की थी इसके बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की.
चोरी नहीं है-
पुलिस ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि विशाल और स्टोर वालों का टाइल तोड़ने और छज्जे की मरम्मत को लेकर विवाद चल रहा है. स्टोर के मालिक ने आने जाने में दिक्कत होने के कारण ग्रिल हटवाई है. चोरी वाली कोई बात नहीं पाई गई, इसलिए इस मामले को बंद/ फाइल कर दिया गया.
ग्रिल को अमानत के तौर पर थाने में रखा गया था जिसे कोई लेने नहीं आया तो 22 फरवरी को डीपी एक्ट में मालखाने में जमा कर दिया गया.
कमिश्नर से गुहार-
सेवानिवृत्त एसीपी महिपाल सिंह ने 24 मार्च
पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा, स्पेशल कमिश्नर (कानून-व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा, संयुक्त आयुक्त मीनू चौधरी,दक्षिण जिला की डीसीपी चंदन चौधरी और स्पेशल कमिश्नर विजिलेंस को इस मामले की शिकायत की है.
एसएचओ, एसआई के ख़िलाफ़ केस दर्ज करो-
एसएचओ शिव दर्शन शर्मा और सब इंस्पेक्टर सुमित कुमार के ख़िलाफ़ कानूनी और विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है.
महीपाल सिंह का आरोप है कि सब- इंस्पेक्टर सुमित कुमार ने रोजनामचे में झूठी/गलत बात लिखी है.
गलत डीडी एंट्री करने वाले सब-इंस्पेक्टर सुमित कुमार के ख़िलाफ़ गलत रिकॉर्ड बनाने के लिए आईपीसी की धारा 192 के तहत कानूनी और पंजाब पुलिस रुल्स 22-24 के तहत विभागीय कार्रवाई की जाए.
एसएचओ शिव दर्शन शर्मा और सब-इंस्पेक्टर सुमित कुमार के ख़िलाफ़ ग्रिल बदल देने के आरोप में आईपीसी की धारा 409 के तहत अमानत में ख्यानत करने का मामला दर्ज किया जाए.
रास्ता कोई नहीं बंद कर सकता-
वैसे इस मामले में एक बात साफ़ है कि नियमों के अनुसार तो एसीपी अपनी दुकान के बाहर ग्रिल नहीं लगा सकते. दूसरी ओर स्टोर वाले भी अपना सामान/कूड़ा एसीपी की दुकान के बाहर रख कर उनका रास्ता अवरुद्ध नहीं कर सकते.