उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में वर्षों बाद आध्यात्मिक नगरों में मेयर सामान्य सीट घोषित

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समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 14अप्रैल। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में मेयर के मात्र आठ सीट सामान्य (अनारक्षित) है :-जिसमें गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज एवं मथुरा-वृंदावन आध्यात्मिक नगरों में वर्षों बाद मेयर सामान्य सीट घोषित हुआ है। “धर्म जागरण मंच” के तत्वाधान में एक बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि पार्टी इन शहरों में तेजस्वी ब्राह्मण एवं सन्त समाज भगवाधारी को ही टिकट दे, धर्म जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष- ज्ञानगुरु डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि अगर पार्टी ऐसा करती है तो समस्त ब्राह्मण समाज, प्रबुद्ध वर्ग,संत समाज एवं ज्योतिष जगत पूरे देश से एकत्रित होकर इनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार-प्रसार करेगा। ज्ञानगुरु डॉ.धनेश मणि ने कहा कि अभी तक हमने सामाजिक, ज्योतिष और सनातन धर्म के लिए पूरे देश-विदेश में काम किया है, पर अब धर्मसम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के सिद्धांतों से प्रेरित होकर राजधर्म (राजनीति) में भी हम अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहेंगे। उनकी कृपा से हमें ब्राह्मण,सन्तों का आशीर्वाद भरपूर मिल रहा है, जिसके कारण हमने पहल शुरू कर दी है। अब कम से कम इन आध्यात्मिक नगरों के मेयर की समस्त जिम्मेदारियों का सम्यक् निर्वहन करते हुए कुछ प्राथमिकताएं इस प्रकार होगी:-

1- प्लास्टिक थैलियों के ट्रक को प्रवेश नहीं होने देंगे शहर में।
कारण- छोटे-छोटे व्यापारी एवं सामान्य जीवन यापन करने वाले ग्राहकों पर प्लास्टिक थैली के लिए जुर्माना लगाने के बजाय प्लास्टिक का उत्पादन रोक कर विकल्प के रूप में टेक्नोलॉजी अपडेट करके उन्हीं फैक्ट्रियों से या कुटीर उद्योग के माध्यम से पत्तों से थैली बनाना, इससे लघु उद्योग, कुटीर उद्योग को बढ़ावा एवं रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे पृथ्वी, प्रकृति प्रदूषित होने से तो बचेगी ही तमाम आपदाओं से भी हम बच सकेंगे।

2- नगर निगम की सीमा के अंतर्गत नहीं चलने देंगे कत्लखाने।
कारण- किसी भी पशु की हत्या खासकर गौ हत्या शहर में होने से प्रदूषण तो फैलता ही है ,पाप भी बढ़ता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार राजधर्म,कर्म सात्विक होने से जहां प्रजा आनंदित होती है, वहीं दूषित होने से नगरवासी प्रभावित होते हैं ,जिसके प्रभाव से मानवता एवं नगर का विकास बाधित होता है।

3- शहर में जलजमाव की समस्या से निजात दिलाना।
क्या होगा तरीका ?- बारिश का जल परम पवित्र होता है इसे शहर में रुकने के बजाज जलाशय/नदियों तक जाने का मार्ग प्रशस्त करना।

4- नाली के पानी को शहर से बाहर कृषि योग्य भूमि तक पहुंचाना।
5- दूषित जल पीने से विविध प्रकार के रोग होते हैं।
समाधान- उत्तम स्वस्थ्य हेतु शुद्ध जल प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाने की प्राथमिकता।

डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि इन आध्यात्मिक नगरों में मेयर कोई भी हो इतने काम तो अवश्य करने होंगे।

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