समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अप्रैल। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षया तृतीया के साथ ही परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने धरती पर 10 रुपों मे अवतार लिया और इनमें से एक परशुराम का अवतार है. परशुराम के अवतार में आकर भगवान ने धरती पर ऋषि-मुनियों के साथ हो रहे अन्याय व अत्याचार का अंत किया. परशुराम जयंती के मौके पर हर किसी को उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें सीखनी चाहिए. जो कि सभी के लिए प्रेरणादायक हैं.
माता-पिता का सम्मान
धार्मिक पुराणों के अनुसार परशुराम माता-पिता के भक्त थे और कहते हैं कि उनके लिए माता-पिता की आज्ञा सर्वोपरि थी. जो व्यक्ति अपने माता-पिता का सम्मान करता है उसे जीवन में सफलता और सम्मान दोनों ही हासिल होते हैं. इसलिए माता-पिता का सम्मान करें और उनकी आज्ञा पालन अवश्य करें.
दान है जरूरी
धार्मिक कथाओं के अनुसार परशुराम ब्राह्म्ण होने के साथ ही क्षत्रीय भी थे और दान करना अपना परम धर्म मानते थे. भगवान परशुराम ने अश्वमेघ यज्ञ करके पूरी दुनिया को जीत लिया था. लेकिन बाद में उन्होंने सबकुछ दान कर दिया. कहते हैं कि व्यक्ति को अपने मन में हमेशा दान की भावना रखनी चाहिए.
सबसे ऊपर न्याय
धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि भगवान परशुराम के लिए सबसे ऊपर न्याय था और उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है. न्याय करने के लिए वह किसी भी सामना कर सकते थे. हर किसी को भगवान परशुराम की तरह न्याय प्रिय होना चाहिए और गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.
शांत होकर काम करना
धार्मिक पुराणों के अनुसार वैसे तो भगवान परशुराम स्वभाव से काफी क्रोध वाले थे और उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आता था. लेकिन कोई भी काम करने से पहले वह स्वंय को संयम में रखते थे और इसलिए कार्य में सफलता हासिल होती है. कहते हैं कि व्यक्ति को सफल होने के लिए संयम से ही कार्य करना चाहिए और जल्दबाजी के फैसलों से बचना चाहिए.