दैनिक अमृत दर्शन में मेरा लोकप्रिय साप्ताहिक स्तम्भ ‘नारद संहिता’

गौरव में 'सु' की इतनी रूचि क्यों है?

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महेश दीक्षित। भाजपा के इंदौर जिला अध्यक्ष गौरव रणदिवे में ऐसे कौनसे हीरे-मोती जड़े हैं, जो उनको लेकर संगठन के दो उस्तादों (पदाधिकारियों) में कलह मची हुई है। बताते हैं कि संगठन के एक उस्ताद गौरव की ‘जिला अध्यक्षी’ इसलिए बरकरार रखना चाहते हैं, क्योंकि गौरव उनके बड़े उस्ताद (सु), जो कि संगठन की भूमिका से बाहर हो चुके हैं, के खास कृपा पात्र हैं। बड़े उस्ताद (सु) ने ही पार्टी में तमाम विरोधों के बावजूद कांग्रेस से आयातित गौरव को इंदौर का जिला अध्यक्ष बनाया था। बड़े उस्ताद (सु) का गौरव को 2024 तक बरकरार रखने के पीछे राजनीतिक स्वार्थ है। वो यह कि, उनके दिल में इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तमन्नाएं हिलौरे मार रही हैं। खैर अब देखना यह कि, गौरव का गौरव बड़े उस्ताद (सु) बरकरार रख पाते हैं या फिर उस्तादों के रार में गौरव-श्रीविहीन होकर रह जाते हैं।—-

103 करोड़ कहां से आए?

मप्र भाजपा संगठन ने हाल ही में 103 करोड़ रुपए की राशि बतौर फिक्स डिपाजिट (एफडी) बैंक में जमा कराई है। स्वाभाविक ही इतनी बड़ी राशि जुटाने का श्रेय प्रदेश मुखिया वीडी शर्मा को दिया जा रहा है। वीडी को भाजपा हाईकमान का कमाऊ पूत की संज्ञा दी जा रही है। लेकिन विरोधियों- विघ्न संतोषियों द्वारा आयकर भवन में प्रपंच फैलाया जा रहा है कि, आखिर वीडी इतनी बड़ी राशि लाए कहां से हैं, किससे लाए हैं और उसका स्त्रोत क्या है, उनसे पूछा जाना चाहिए। खैर, विघ्न संतोषी उनके बारे में कितनी ही नकारात्मक बातें फैलाएं, वीडी पार्टी के लिए कमाऊ पूत तो हो गए हैं। इसके साथ इतनी ‘बड़ी एफडी’ ने वीडी के विरोधियों-विघ्न संतोषियों को विधानसभा चुनाव तक मुंह पर अंगुली रखने को मजबूर कर दिया है।—-

तो विश्वास-रामेश्वर की अग्नि परीक्षा!

मध्यप्रदेश में आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा नया चुनावी प्रयोग कर सकती है। वो यह कि, इस बार कांग्रेस काबिज वाली सीटों पर भाजपा अपने जिताऊ और तेज तर्रार नेताओं को मैदान में उतारने की प्लानिंग में है। इसमें पार्टी कांग्रेस काबिज वाली भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट से तीन बार के विधायक एवं तेज तर्रार मंत्री विश्वास सारंग और भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से दो बार के तेज तर्रार विधायक रामेश्वर शर्मा को चुनावी मैदान में उतार सकती है। भाजपा का यह नया प्रयोग कितना सफल होगा, यह अलग बात है। लेकिन विश्वास और रामेश्वर के लिए पार्टी का यह नया प्रयोग अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। नारदजी कहते हैं कि, यदि नया प्रयोग सफल नहीं हुआ, तो दोनों धुरंधर नेताओं के राजनीतिक सितारे जरूर गर्दिश में पड़ जाएंगे।—

‘मेघा’ सीहोर, ‘प्रिया’ छिंदवाड़ा से लड़ेगी चुनाव!

शिवराज की ‘लाड़ली बहना’ के जवाब में कमलनाथ द्वारा ‘नारी सम्मान’ योजना की लांचिंग के साथ ही एवरेस्ट विजेता मेघा परमार और बिजनेसमैन प्रिया नाथ की राजनीति में लांचिंग हो गई। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि, कांग्रेस मेघा को सीहोर और प्रिया को छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। मेघा को कमलनाथ ने अपनी सरकार में किसी फिल्मी एक्ट्रेस की जगह ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया था। जबकि प्रिया कमलनाथ की पुत्रबधू एवं सांसद नकुलनाथ की पत्नी हैं। तथा देश की सफलतम महिला बिजनेसमैन में शुमार हैं। मेघा कहती हैं कि जिस तरह से कमलनाथ ने गांव की एक साधारण-सी लड़की को एवरेस्ट जितनी ऊंचाई पर पहुंचाया, वे कांग्रेस को उतनी ही ऊंचाईयों पर पहुंचाना चाहती हैं।-भाजपा मुख्यालय की ‘चाय’ कड़वी हो रही

प्रदेश भाजपा मुख्यालय में जब से बाहर से आने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं की मेहमाननबाजी के लिए सत्कार अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, तब से नेताओं-कार्यकर्ताओं की खातिर-तवज्जो तो होने लगी है, लेकिन अब ‘चाय’ कड़वी होने लगी है। कड़वी इसलिए कि, पहले बाहर से आने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं को सम्मान ‘चाय’ मुख्यालय की ओर से पिलाई जाती थी, लेकिन जब से नई केंटिन उदघाटित हुई है, नेताओं-कार्यकर्ताओं को मुख्यालय में ‘फ्री चाय’ की व्यवस्था बंद कर दी गई है। नारदजी से बाहर से आए एक खांटी भाजपाई कहते हैं कि जब सत्कार में खुद के पैसे ही चाय पीना पड़े, तो भगवान बचाए ऐसे सत्कार से…!

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