विकास के लिए किसी देश की क्षमता एवं संभावना उसकी युवा आबादी के आकार और ताकत से तय होती है: डॉ. मांडविया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20जून।निर्धारित होती है। युवा विकास के लिए एक प्रमुख शक्ति बन सकते हैं, जब उन्हें ज्ञान और अवसर प्रदान किए जाएं, जिनकी उन्हें सफल होने के लिए आवश्यकता होती है।” केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज ‘हेल्थ ऑफ यूथ-वेल्थ ऑफ नेशन’ में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान यह बात कही। जी-20 के इस को-ब्रांडेड कार्यक्रम का आयोजन मातृ, नवजात शिशु, बाल स्वास्थ्य (पीएमएनसीएच) की भागीदारी से केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यहां किया। इस वैश्विक कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर के 1.8 बिलियन किशोरों व युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की जरूरतों को रेखांकित करना है, और किशोरों व युवाओं के स्वास्थ्य में जी-20 देशों का ध्यान और निवेश बढ़ाना है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, दक्षिण अफ्रीका के उप स्वास्थ्य मंत्री सिबोंगिसेनी ध्लोमो, पीएमएनसीएच बोर्ड की अध्यक्ष हेलेन क्लार्क, भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री शोम्बी शार्प, यूएनएफपीए मुख्यालय के तकनीकी प्रभाग की निदेशक डॉ. जुलिटा ओनाबैंजो भी इस अवसर पर उपस्थित थी।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि “भारत की जी-20 की अध्यक्षता यह सुनिश्चित करने के लिए एक ऊंची छलांग होगी कि दुनिया के 1.8 बिलियन युवाओं की जरूरतों और अधिकारों का समाधान किया जाए, उनकी आवाज सुनी जाए, और संसाधनों और अवसरों तक उनकी पहुंच बनाई जाए जो उनके अधिकतम विकास के लिए आवश्यक है।” उन्होंने यह भी कहा कि “हमारे प्रधानमंत्री की परिकल्पना कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता ‘समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख’ होगी, भारत और दुनिया के लिए आशा के साथ-साथ अवसर भी प्रदान करती है। देश के युवा प्रधानमंत्री की परिकल्पना को साकार करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।”
युवा सशक्तिकरण के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि “किशोरों व युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केन्द्रित करने वाला यह को-ब्रांडेड कार्यक्रम जिसकी विषय वस्तु ‘हेल्थ ऑफ यूथ वेल्थ ऑफ नेशन’ है वह किशोरों और युवाओं की मानव पूंजी में निवेश को बढ़ावा देने में भारत सरकार के नेतृत्व पर बल देता है और हम मजबूत, हरित अर्थव्यवस्था और जीवंत समाज का निर्माण करने के लिए अन्य जी-20 देशों को अगली पीढ़ी के विकास में तेजी लाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया की लगभग एक चौथाई युवा आबादी का घर होने के नाते, जो देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की आकांक्षा की ओर ले जाने में सक्षम है, “भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह इस जनसांख्यिकीय लाभांश को प्राप्त करे और शिक्षा, कौशल विकास व युवाओं के स्वास्थ्य में निवेश करे”।
डॉ मांडविया ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, भारत ने युवाओं के अनुरूप और उनकी स्वास्थ्य एवं विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों को लगातार तैयार और सुदृढ़ किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि “टेली-मानस, एक समर्पित राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम यह सुनिश्चित कर रहा है कि हमारे देश के युवाओं की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को शून्य लागत पर विशेषज्ञों और पेशेवरों की एक टीम द्वारा सुना जा रहा है, स्वीकार किया जा रहा है और उनकी देखभाल की जा रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि “प्रधानमंत्री द्वारा एक व्यापक स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम शुरू किया गया है जो स्कूली छात्रों को उनके स्कूलों और बड़े पैमाने पर समुदायों के भीतर स्वास्थ्य और कल्याण दूतों, सलाहकारों और रोल मॉडल के रूप में विकसित करने की परिकल्पना कर रहा है।”
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने गणमान्य व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य सहयोग और सहायता, पोषण कार्यक्रम और व्यापक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सहित किशोरों के अनुकूल स्वास्थ्य देखभाल के प्रमुख क्षेत्रों पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “हमें सार्थक भागीदारी को महत्व देना चाहिए और जगह बनानी चाहिए, जहां निर्णय लेने की प्रक्रिया में युवा लोग शामिल हो जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “किशोरों के सामने देश के बाहर आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए, हमें प्रभावी मॉडल साझा करके, नीतियों के समन्वय करके और अपने किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण की जरूरतों को पूरा करने में सीमित क्षमता वाले देशों को समर्थन देने के लिए संसाधनों को जुटाकर अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए”।
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी में से एक है, जिसमें 378 मिलियन किशोर और युवा हैं और देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि “हमारी सरकार परिवर्तनकारी शक्ति और हमारे युवाओं की असीम क्षमता में दृढ़ता से विश्वास करती है। उनकी ऊर्जा, विचार और दृढ़ संकल्प हमारे महान राष्ट्र के भविष्य के पथ को आकार देने की कुंजी है। उन्होंने आगे कहा कि “युवाओं की भलाई में निवेश करना न केवल एक नैतिक दायित्व है बल्कि एक रणनीतिक निर्णय है जो हमारे राष्ट्र की सफलता और समृद्धि को निर्धारित करेगा।”
पीएमएनसीएच बोर्ड की अध्यक्ष हेलेन क्लार्क ने कहा कि आज के युवा बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जोकि नई तरह की चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि 15 से 19 वर्ष की आयु की कई युवा लड़कियां प्रसव के दौरान मर रही हैं जबकि दुनिया भर में कई लोग आज मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए देशों से आग्रह करते हुए, उन्होंने कहा, “कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है और अब कार्य करने का समय है”।
दक्षिण अफ्रीका के उप स्वास्थ्य मंत्री सिबोंगिसेनी ध्लोमो ने भारत सरकार को जी-20 की अध्यक्षता के लिए बधाई दी और कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 की प्राथमिकताएं अच्छी तरह से आकार ले रही हैं। उन्होंने युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और इन चुनौतियों के लिए उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और उनके स्वास्थ्य व कल्याण में सुधार पर भी अपनी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि अफ्रीका में अधिकांश आबादी युवा है और इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उन्हें भविष्य में जिम्मेदार हितधारक बनने के लिए उचित उपकरण, सूचना, शिक्षा और अवसर मिले।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जिन नीतियों और कार्यक्रमों ने राष्ट्रों को अपने-अपने देशों में किशोरों व युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया है, वे उनकी सामाजिक-जनसांख्यिकीय तस्वीर को बेहतर बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे ताकि वे अभी और भविष्य में एक सकारात्मक शक्ति बन सकें।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं की शक्ति, बहुपक्षवाद, जी-20 और ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत युवाओं के लिए जबरदस्त अवसर और संभावनाएं खोलने में मदद कर सकता है। उन्होंने किशोर स्वास्थ्य के लिए कई नीतियां लाने का श्रेय भारत को दिया लेकिन इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुनिया भर के देशों को और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भारत स्थायी लक्ष्यों को वैश्विक वास्तविकता बना सकता है। उन्होंने कहा, साथ है तो संभव है।”
यूएनएफपीए मुख्यालय के तकनीकी विभाग की निदेशक डॉ. जुलिटा ओनाबैंजो ने कहा कि “युवाओं की क्षमता को पहचानना और उसका लाभ उठाना हमारी जिम्मेदारी है जिससे युवाओं को सकारात्मक बदलाव का एजेंट बनाया जा सके और उन्हें वयस्क होने के दौरान बेहतर स्थितियां प्रदान की जा सके।” उन्होंने भारत सरकार की जी-20 में उत्कृष्ट उपस्थिति के लिए बधाई भी दी और भारत की अध्यक्षता में जी-20 को ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का महत्वपूर्ण विषय देने की सराहना की।
इराक की युवा प्रतिनिधि तुका अलबकरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि युवाओं में दुनिया में बदलाव लाने की क्षमता है क्योंकि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सक्रियता, रचनात्मकता और ऊर्जा की पीढ़ी हैं। उन्होंने इस युवा कार्यक्रम की मेजबानी के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया और नीति निर्माताओं से आग्रह किया कि वे युवाओं के उत्साह का समर्थन करें और उन्हें समाज का जिम्मेदार परिवर्तनकर्ता बनाने में सहायक हों।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अन्य गणमान्य लोगों के साथ मंत्रालय के ‘हेल्थ ऑफ यूथ-वेल्थ ऑफ नेशन’ पर विषयगत पेपर के साथ किशोर स्वास्थ्य और बहु-क्षेत्रीय भागीदारी को केन्द्र में रखकर किशोर कल्याण पर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) पत्रों का एक संकलन-विश्लेषणात्मक लेखों की एक श्रृंखला जारी की।
इस अवसर पर अशोक बाबू, संयुक्त सचिव और स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, गेट्स फाउंडेशन, यूएनएफपीए, यूएसएआईडी, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ जैसी भागीदार एजेंसियों के अधिकारी और जी-20 देशों के युवा आइकन भी उपस्थित थे।