सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर जानिए भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली , 01अगस्त। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन अधिक पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। वर्ष 2023 में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को पड़ रही है। अधिक मास में आने के कारण इसे अधिक पूर्णिमा भी कहा जाएगा। चलिए जानते हैं हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का क्या महत्व है, और साथ ही जानते हैं पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि।

अधिक मास की पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में सावन मास की पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सत्यनारायण व्रत रखा जाता है। मान्यता है ऐसा करने से विष्णु जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि पूर्णिमा के विशेष दिन पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

अधिक मास की पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 01 अगस्त को सुबह 03 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और 02 अगस्त को देर रात 12:00 बजे तक समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अधिक मास की पूर्णिमा का व्रत 01 अगस्त को मंगलवार के दिन रखा जाएगा।

पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान सूर्य देव के बीज मंत्र ॐ घृणिः सूर्याय नमः का जाप करें। इसके बाद एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रार्थना करते हुए सत्यनारायण व्रत करने का संकल्प लें।

शाम के समय पूजा करते समय अपने समक्ष पानी का कलश रखें। विष्णु जी को पत्ता, पंचामृत, केला और पंजीरी बनाकर अर्पित करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ माता लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा करें। संध्या काल में पंडित को बुलाकर सत्यनारायण की कथा श्रवण करनी चाहिए। पूजा के बाद परिवार और अन्य लोगों में प्रसाद बाटें। पूर्णिमा के दिन, दान अवश्य करना चाहिए।

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