लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले राज्यसभा ने मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा को मंजूरी, पर विपक्ष अभी भी मानने को नहीं तैयार 

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*संसद भवन, नई दिल्ली से राजेश कुमार सिंह

कई हफ्ते हंगामा की बलि चढ़ने के बाद राज्यसभा ने मणिपुर हिंसा पर व्यापक चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी रहा । आखिरकार राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा के डिस्कशन को मंजूरी दे दी, लेकिन रूल 176 के तहत। यही बात हमेशा विपक्षी सासंदों को नागवार लगती रही है। विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों की मांग रूल 267 के तहत व्यापक चर्चा और वोटिंग की थी। जो सत्ता पक्ष को मान्य नहीं है। इसलिए विपक्ष का हंगामा अब भी जारी है।
उधर विपक्षी दल मणिपुर के मामले पर चर्चा को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में रोजाना नोटिस दे रहे हैं। लेकिन सरकार लगातार कह रही है कि वो इस पर चर्चा के लिए तैयार है।

क्या है रूल बुक्स में 267 ? 

राज्यसभा की रूल बुक्स की माने तो नियम 267 में कहा गया है कि कोई भी सदस्य दिनभर के सूचीबद्ध एजेंडे को रोकते हुए सार्वजनिक महत्व के जरूरी मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दे सकता है । नोटिस ऑफिस का कहना है कि 1990 के बाद से रूल 267 का महज 11 बार चर्चा के लिए इस्तेमाल किया गया है।
आखिरी बार इसका इस्तेमाल साल 2016 में नोटबंदी के लिए किया गया था, जब मोहम्मद हामिद अंसारी राज्यसभा के सभापति थे। इस नियम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर बहस के लिए सभी कामों को रोक दिया जाता है। हालांकि रूल 267 के अलावा सरकार से सवाल पूछने और प्रतिक्रिया मांगने का सांसदों के पास एक और तरीका होता है। वे प्रश्नकाल के दौरान किसी भी मुद्दे से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं, जिसमें संबंधित मंत्री को मौखिक या लिखित उत्तर देना होता है। कोई भी सांसद शून्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे को उठा सकता है। हर दिन 15 सांसदों को शून्यकाल में अपनी पसंद के मुद्दे उठाने की अनुमति होती है।

क्या है रूल बुक्स में 176 ? 

संसदीय रूल बुक्स की माने तो रूल 176 के तहत चर्चा को ऐसे परिभाषित किया गया है कि नियम 176 किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है, जो ढाई घंटे से अधिक नहीं हो सकती और इसमें वोटिंग का भी प्रावधान नहीं है। इसमें कहा गया है कि अति आवश्यक या सार्वजनिक महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने का इच्छुक कोई भी सदस्य स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से उठाए जाने वाले मामले को बताते हुए लिखित रूप में नोटिस दे सकता है, बशर्ते नोटिस के साथ एक व्याख्यात्मक नोट हो। जिसे सदन महत्वपूर्ण मानती हो।
राज्यसभा में रूल 267 और 176 के टकराव की लड़ाई कब खत्म होगी ये पता नहीं, इस बीच सरकार कई बिल पास करा चुकी है। पर इतना तय है कि मानसून सत्र के भारी भरकम खर्चे की चर्चा आमजनमानस को झकझोर रही है।
*राजेश कुमार सिंह

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