समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक जलवायु आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में भारत के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार है- जबकि चिंता का विषय यह है कि कोविड जैसी महामारियों की कोई सीमा नहीं है, और नहीं वे किसी प्रकार की सम्पदा या अन्य कृत्रिम मानव विभाजन का सम्मान करती हैंI यह बात डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज तब कही जब पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की।
पीएचडी चैंबर – ऊर्जा संक्रमण नवाचार चुनौती (एनर्जी ट्रांज़िशन इनोवेशन चैलेंज – ईएनटीआईसीई) के लिए एक ऐसा उद्योग भागीदार है, जो लोगों के लिए सकारात्मक ऊर्जा परिवर्तनों में तेजी लाने का एक नवाचार मंच है। चैंबर ने सरकार, शिक्षा और उद्योग के बीच अंतर को पाटने के लिए हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन में एक अत्याधुनिक ज्ञान सुविधा केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ग्रीन हाइड्रोजन-सीओई-जीएच) भी स्थापित किया है। इस केंद्र का लक्ष्य क्षमता निर्माण के लिए साझेदारी को सुविधाजनक बनाना है। इस केंद्र का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र की सहायता करने का है जो हरित ऊर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में एक नया व्यवसाय शुरू करने में भी रुचि रखता है। यह केंद्र भारत में इस प्रकार की एकमात्र सुविधा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएचडीसीसीआई से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनसीएल) और केंद्रीय विद्युत रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीईसीआरआई) ने पुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर बहुराष्ट्रीय कंपनी केपीआईटी लिमिटेड के साथ सहयोग से विकसित भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का व्यावसायिक उपयोग करने का आह्वान किया। हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का पिछले साल अगस्त में डॉ. जितेंद्र सिंह ने वाणिज्यिक उपयोग के लिए उद्घाटन किया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत देश में समग्र नवीकरणीय ऊर्जा आरई क्षमता में 5 गुना वृद्धि की परिकल्पना के साथ विश्व में सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) विस्तार कार्यक्रम लागू कर रहा है।
उन्होंने कहा कि “भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट की स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने और अब से 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत के संघर्ष के सभी साक्षी हैं । उन्होंने आगे जोड़ा कि “हमने 2030 पेरिस समझौते के लक्ष्य से बहुत पहले ही नवीकरणीय स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर ली है।”
उन्होंने कहा कि सौर एवं जलविद्युत स्रोतों से नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देने के अलावा, प्रधान मंत्री ने 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से हाइड्रोजन ऊर्जा में प्रमुख प्रगति की घोषणा की थी । भारत ने लागत प्रतिस्पर्धी हरित हाइड्रोजन उत्पादन को सक्षम करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन भी शुरू किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ऊर्जा-मिश्रण रणनीतियों में स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर बड़ा बदलाव, विनिर्माण क्षमता में वृद्धि, ऊर्जा उपयोग दक्षता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन सहित हाइड्रोजन के लिए नीतिगत प्रोत्साहन शामिल है । उन्होंने जोर देकर कहा कि अब इसके अतिरिक्त 2जी इथेनॉल पायलट, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए सुविधाजनक जलवायु बॉक्स, हाइड्रोजन वैलीज़, ऊष्मीकरण एवं प्रशीतन (हीटिंग एंड कूलिंग) की वर्चुअल रिपॉजिटरी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां अब सुगमता से उपलब्ध हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने जैव-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप के साथ ही एक ऐसी रणनीति विकसित की है जो वर्ष 2025 तक 150 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे कम कार्बन वाले जैव-आधारित उत्पादों के जैव-विनिर्माण के लिए बुनियादी ढांचे की सुविधा मिलेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक- निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से मिशन नवाचार (इनोवेशन) 2.0 के अंतर्गत स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा विकास में अपना योगदान प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने में सक्षम है । साथ ही उन्होंने कुछ प्रमुख सीईएम पहलों का उल्लेख किया, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप का वैश्विक प्रकाश व्यवस्था चुनौती (ग्लोबल लाइटिंग चैलेंज -जीएलसी) अभियान, सडकों के किनारे प्रकाश व्यवस्था का राष्ट्रीय कार्यक्रम (स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम) और सभी के लिए लागत प्रभावी कम मूल्य की एलईडी के माध्यम से उन्नत ज्योति (उजाला) कार्यक्रम के अतिरिक्त एक सूर्य- एक विश्व-एक ग्रिड (वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड) पहल भी शामिल है जिसे पहली बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सौर ऊर्जा की जबरदस्त क्षमता का दोहन करने के लिए शुरू किया गया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत, “मिशन इनोवेशन” के माध्यम से, प्रेरक नवाचार लक्ष्यों को उत्प्रेरित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, ग्रीन इंडिया और स्मार्ट सिटीज जैसी राष्ट्रीय मिशन पहलों ने पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के केंद्रों को प्रोत्साहित किया है। मंत्री महोदय ने कहा कि इसके साथ ही, भारत ने एकीकृत तरीके से प्लास्टिक के एकल उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक) के लिए कम कार्बन विकल्प विकसित करने के उद्देश्य से अनुसंधान एवं विकास पहल भी शुरू की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई की दिशा में अपने लक्ष्यों जैसे- 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना; 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करने ; 2030 तक काबन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन में 1 अरब (बिलियन टन की कमी) लाने; 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करने और 2070 तक शुद्ध -शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के मार्ग को प्रशस्त करने इत्यादि को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आज जब भारत अपनी स्वतन्त्रता का 75वां वर्ष मना रहा है, तब ऐसे में इंडिया@100 के लिए अगले 25 वर्षों का रोडमैप जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया और इस साल को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा हैI आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ, सरकार स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा को एक नए आकांक्षात्मक स्तर पर ले जा रही है। यह दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जो 50 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लक्षित करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल’ विश्व की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। जब अगस्त 2019 में यह कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब हम 17 प्रतिशत पर थे और आज जेजेएम ने देश के 12.75 करोड़ (65.75 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।