अपने देश को हमेशा पहले रखें, यह वैकल्पिक नहीं है, यह आवश्यक नहीं है, यही एकमात्र रास्ता है: जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एम्स के 48वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत दिया भाषण
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अगस्त।“अपने देश को हमेशा पहले रखें, यह वैकल्पिक नहीं है, यह आवश्यक नहीं है, यही एकमात्र रास्ता है, हम सभी इस देश के ऋणी हैं।” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री एस.पी. सिंह बघेल की उपस्थिति में नई दिल्ली स्थित एम्स के 48वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण देते हुए कही।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा, “इस प्रतिष्ठित संस्थान से निकलकर स्वास्थ्य क्षेत्र की बड़ी दुनिया में कदम रखने वाले विद्यार्थी हमेशा एक संदेश लेकर जाएंगे जो एम्स के आदर्श वाक्य में परिलक्षित होता है: “शरीमाद्यम खलु धर्मसाधनम” (एक स्वस्थ शरीर ही हमारे सभी गुणों का वाहक है)।” उपराष्ट्रपति ने उन छह सेवानिवृत्त संकाय सदस्यों को अपनी शुभकामनाएं दीं, जिन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और कहा कि उनका जीवन एवं कार्य आज स्नातक होने वाले विद्यार्थियों को प्रेरित करेगा।
डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “आपको, आपके माता-पिता, जिन्हें आपने आज गौरवान्वित किया है और संकाय सदस्यों एवं कर्मचारियों, जो एक संस्थान की रीढ़ होते हैं, को बधाई।” उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का एक इकोसिस्टम बनाने के प्रति एम्स की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया और कहा, “एम्स को दिल्ली एवं खड़गपुर के आईआईटी जैसे अन्य प्रमुख संस्थानों तथा देश एवं विदेश के कई अन्य संस्थानों के साथ साझेदारी करते देखकर खुशी हो रही है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तीन वर्षों के अंतराल के बाद हो रहा यह दीक्षांत समारोह कोविड महामारी की याद दिलाता है। उन्होंने कहा, “इस अंतराल ने दुनिया को बताया कि भारत, जहां मानवता का छठा हिस्सा निवास करता है, ने कितनी सफलतापूर्वक कोविड के खतरे का मुकाबला किया है और उस पर काबू पाया है। यह मुख्य रूप से हमारे स्वास्थ्य योद्धाओं के अथक प्रयासों के कारण संभव हुआ। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण व उनकी नवोन्वेषी रणनीति और उसके निर्बाध क्रियान्वयन ने लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी सुनिश्चित की है।” वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी से लड़ने में भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “इस महामारी ने मानवता के सामने जो चुनौती पेश की है, उसने वसुधैव कुटुंबकम के हमारे सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों को दुनिया के सामने प्रकट किया है। यह बिल्कुल उपयुक्त है कि जी-20 का आदर्श वाक्य “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” हमारी सभ्यता का सार है। यह हम सभी के लिए बेहद गर्व का क्षण है कि कोविड महामारी से प्रभावी ढंग से निपटते हुए भारत ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोवैक्सिन उपलब्ध कराकर 100 से अधिक देशों को सहयोग प्रदान किया है।”
उपराष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) सहित स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कई नीतिगत पहलों की सफलता पर प्रकाश डाला, “एसबीएम की यह बहुमूल्य सफलता न केवल नागरिकों, विशेषकर महिलाओं को सम्मान के साथ सशक्त बनाती है, बल्कि बड़े पैमाने पर समुदाय के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है।” एक अन्य वैश्विक योगदान, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि योग भारत की ओर से दुनिया को एक उपहार है। इस उत्सव ने दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण के मामले में सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत की है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि एक अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के व्यापक उपायों के लिए पारंपरिक एवं आधुनिक प्रणालियों को एकीकृत करके कल्याण के एक समग्र दृष्टिकोण के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने समाज में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर जोर दिया और कहा, “जीवन में सब कुछ फिर से प्राप्त किया जा सकता है – एक पत्नी, एक राज्य, एक मित्र और धन। हालांकि, शरीर इसका एक अपवाद है तथा यह अपूरणीय एवं अमूल्य है। यही कारण है कि समाज में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता जो भूमिका निभाते हैं, वह अपूरणीय है। उपराष्ट्रपति ने संस्कृत मंत्र “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः” – “सभी सुखी रहें, सभी बीमारी से मुक्त रहें” – में समाहित कालातीत ज्ञान को रेखांकित करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
डॉ. मनसुख मांडविया ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा, “आज का दिन डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने जीवन की एक पारी पूरी कर ली है और वे अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं।” उन्होंने विद्यार्थियों के जीवन में आने वाले बदलाव के क्षण के बारे में चर्चा करते कहा, “आप बदलाव के कगार पर खड़े हैं, क्योंकि अब आप उन बातों को प्रयोग में ला सकेंगे जिन्हें आपने अपनी शिक्षा के दौरान सीखा है और जहां भी आप जाने का निर्णय लेंगे, याद रखें कि देश इस आशा के साथ आपकी ओर देख रहा है कि आप इस मंच का उपयोग स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लिए करेंगे। केन्द्रीय मंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि दो साल बाद एम्स अपना 50वां दीक्षांत समारोह मनाएगा और कहा, “एम्स के 50वें दीक्षांत समारोह में, आइए हम इस प्रतिष्ठित संस्थान के सभी डॉक्टरों, चाहे वे दुनिया में कहीं भी हों, का सम्मान करें।”
केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वास्थ्य भी विकास का एक रूप है और कहा, “जब किसी देश के नागरिक स्वस्थ होंगे, तभी वह देश समृद्ध हो सकेगा।” उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या अब दोगुनी होकर 1,07,000 हो गई है, जोकि 2014 में 48,000 थी। डॉ. मांडविया ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कमियों को दूर करने के लिए देश में एक बेहद सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने हेतु भारत के 750 जिलों में 64000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।
लोकसभा सांसद रमेश बिधूड़ी, एम्स के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास तथा एम्स एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित थे।