समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अगस्त। पीठ ने कहा कि जिन केसों में फैसला नहीं हुआ है, उनमें अधिकारियों के एफिडेविट ही काफी होंगे, लेकिन कोर्ट का आदेश न मानने पर जो अवमानना के मामले होंगे, उनमें अफसरों की मौजूदगी जरूरी होगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह देश में अलग-अलग जगहों पर तैनात सरकारी अधिकारियों को समन भेजने के लिए जल्द ही गाइडलाइंस निर्धारित करेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि बकाया केसेज और अंतिम निर्णय में अवमानना के मामलों से निपटने के लिए अलग नियम होने चाहिए।
पीठ ने कहा कि लंबित और निर्णय हो चुके विषयों का दो हिस्सों में विभाजन होना चाहिए। लंबित मामलों के लिए अधिकारियों को तलब करने की जरूरत नहीं है, लेकिन जब निर्णयन पूरा हो जाए, तब अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।
सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए दिशानिर्देश बनाने पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा कि यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो आदेशों को निरस्त करेगा, जिनसे उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के दो सचिवों की गिरफ्तारी हुई थी। अवमानना के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों पर अधिकारियों को हिरासत में लिया गया था।