जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की व्यवस्था अस्थाई है: केंद्र सरकार

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29अगस्त। आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आज 12वां दिन है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ) में विभाजित करने का फैसला सिर्फ एक अस्थायी व्यवस्था है और केंद्रशासित प्रदेश को फिर से पूर्ण राज्य में बदला जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा के बारे में केंद्र सरकार से निर्देश लेने को कहा, जिसे 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था.

CJI ने पूछा कि ये अस्थायी व्यवस्था कब तक है और जम्मू कश्मीर में चुनाव कब हो रहे हैं. SG तुषार मेहता ने इस पर कोई स्पष्ट समयसीमा न बताते हुए कहा कि इसके लिए कोशिश जारी है.

कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सरकार का जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए कब तक का प्लान है और इसके लिए क्या रोडमैप है.

तुषार मेहता ने इस पर कहा,
“मैंने सरकार से निर्देश ले लिया है कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की ये व्यवस्था अस्थायी है. सरकार परसो इसको लेकर कोर्ट में बयान देगी. लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा.”

यानी सरकार कह रही है कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से बहाल किया जाएगा लेकिन लद्धाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की आशंकाओं को बखूबी समझते हैं, लेकिन लोकतंत्र की बहाली भी बहुत ज़रूरी है.

कोर्ट ने आगे कहा,
“हम समझते हैं कि अंततः राष्ट्र की सुरक्षा एक सर्वोपरि चिंता का विषय है. लेकिन आपको किसी बंधन में डाले बिना, आप (एसजी) और अटॉर्नी जनरल दोनों उच्चतम स्तर पर निर्देश मांग सकते हैं – क्या कोई समय सीमा ध्यान में रखी गई है?”

CJI ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि पूर्ववर्ती राज्य स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो सकता.

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