केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी किया घोषित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 सितंबर। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 63वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने केंद्रीय शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीआईईटी) की एक नई सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी; राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) के कुलपति, महेश चंद्र पंत और शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने अनुसंधान, सक्रिय रूप से स्कूली शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क साक्षरता को साकार करने में एक उत्कृष्ट उपस्थिति प्रदर्शित की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के अनुसंधान विश्वविद्यालय बनने पर यह वैश्विक सहयोग और वैश्विक शैक्षिक परिदृश्य में योगदान के अवसर प्रदान करेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने बल देकर कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा विकसित 3 से 8 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए खेल पर आधारित शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री जादूई पिटारा बदलाव के एक साधन के रूप में सामने आएगी, जिससे देश के 10 करोड़ बच्चों को लाभ होगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने मातृभाषा में सामग्री विकसित करने पर भी बल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सभी 7 क्षेत्रीय केंद्रों में ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए इन केंद्रों को भविष्य के लिए तैयार बुनियादी ढांचे के साथ दुनिया भर की नवीनतम प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद से अपने प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) में शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के अनुरूप मानकीकृत करने का भी आग्रह किया।
धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी कहा कि देश के बच्चों को औद्योगिक क्रांति 4.0 के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने विभिन्न विषयों पर छोटी पुस्तिकाएं विकसित करने का सुझाव दिया, जो भारत के कोविड-19 प्रबंधन, चंद्रयान-3 आदि जैसे विषयों पर तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करेंगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नई पीढ़ियों को नवीनतम विकास के साथ-साथ भारतीय मूल्यों और लोकाचार के बारे में भी सिखाया जाना चाहिए।
संजय कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के सुझावों के अनुरूप शिक्षण सामग्री विकसित करने में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने बच्चों को समग्र शिक्षा प्रदान करने के लिए कला, विज्ञान, व्यावसायिक अध्ययन आदि सभी विषय क्षेत्रों को एक मंच पर लाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), अनुवादिनी जैसे सॉफ्टवेयर की सहायता से सभी 22 भाषाओं में शैक्षिक सामग्री विकसित करेगा।
कार्यक्रम के दौरान भोपाल के क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों ने 22 भाषाओं में गीत प्रस्तुत करने के साथ जादूई पिटारा पर एक नाटक भी प्रस्तुत किया। समारोह के दौरान एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया जिसमें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कई महत्वपूर्ण पहलों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
आरआईई, भोपाल के विद्यार्थियों द्वारा ‘जादुई पिटारा’ से सीखने पर एक लघु नाटक। pic.twitter.com/8w5unpVWrm
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) September 1, 2023