समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 सितंबर। हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष होता है. पितृ पक्ष की सभी 16 तिथियां बहुत ही खास होती हैं और तिथि के अनुसार ही श्राद्ध कर्म किया जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू होंगे और 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होंगे. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और कहते हैं कि इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. जब प्रसन्न होते हैं तो अपने परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष में कुल 16 तिथियां होती हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि किस तिथि पर किस पितर का श्राद्ध किया जाता है?
पितृ पक्ष में किस तिथि पर होता है किसका श्राद्ध:
पूर्णिमा तिथि: जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि के दिन होती है उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की पूर्णिमा यानि पहली तिथि पर किया जाता है.
द्वितीया श्राद्ध: जिन लोगों के पितरों का निधन किसी भी माह की द्वितीया तिथि के होता है उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन किया जाता है.
तृतीया श्राद्ध: किसी भी माह की तृतीया तिथि के दिन मृत्यु होने पर उस व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पितृ पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होता है.
चतुर्थी श्राद्ध: यदि किसी पितर की मृत्यु के दिन चतुर्थी तिथि होती है तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष में चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है.
पांचवा श्राद्ध: किसी अविववाहिता यानि कुंवारे पितरों का श्राद्ध पंचमी तिथि के दिन किया जाता है.
छठा श्राद्ध: किसी माह की षष्ठी तिथि के दिन मृत्यु होने पर उस पितर का श्राद्ध षष्ठी तिथि के दिन किया जाता है.
सातवां श्राद्ध: सप्तमी तिथि के दिन मृत्यु होने पर श्राद्ध पर सप्तमी के दिन ही किया जाता हैे.
आठवां श्राद्ध: जिन पितरों की मृत्यु किसी भी माह की अष्टमी तिथि के दिन होती हे उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है.
नवमी श्राद्ध: जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी के दिन करना चाहिए.
दशमी श्राद्ध: अगर किसी पितर की मृत्यु किसी माह की दशमी तिथि के दिन हुई है तो उसका श्राद्ध पितृ पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया जाएगा.
एकादशी श्राद्ध: इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी माह की एकादशी के दिन होती है.
मघा श्राद्ध: इस दिन श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मुक्ति का रास्ता मिलता है.
द्वादशी श्राद्ध: इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जो कि संन्यासी हो जाते हैं. इसलिए इसे संन्यासी श्राद्ध भी कहते हैं.
त्रयोदशी श्राद्ध: पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन बच्चे का श्राद्ध किया जाता है.
चतुर्दशी श्राद्ध: अकाल मृत्यु होने पर उस व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि के दिन करते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या: यह पितृ पक्ष का अंतिम श्राद्ध होता है और इस दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है.