सहमति पत्र से आर्थिक विकास का लाभप्रद दौर शुरू होगा और ‘अमृत काल’ का दृष्टिकोण साकार होगा: पीयूष गोयल
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग और गतिशक्ति विश्वविद्यालय ने ‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ को आगे बढ़ाने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5अक्टूबर। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और गतिशक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) ने भारत में अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए आज एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस सहमति पत्र (एमओयू) के तहत गतिशक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) समस्त भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग केंद्रों पर पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति से संबंधित पाठ्यक्रमों और पाठ्यचर्या को तैयार करने, विकसित करने एवं उपलब्ध कराने वाली प्रमुख एजेंसी होगा।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण व वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ‘पीएम गति शक्ति’ आगे चलकर समस्त दुनिया के लिए सटीक योजना तैयार करने का साधन बन जाएगी। उन्होंने जीएसवी के विशेष महत्व को रेखांकित किया, जो लॉजिस्टिक्स प्रोफेशनलों का कौशल विकास और क्षमता निर्माण सुनिश्चित करता है, जिससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के औपचारीकरण का मार्ग प्रशस्त होता है। नीति आयोग, सीबीसी सहित 16 से भी अधिक केंद्रीय मंत्रालय इस एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए एकजुट हुए। इस तरह के आपसी सहयोग से बेहतर योजना बनाने एवं कार्यान्वयन; सुव्यवस्थित विशेष विकास; और क्षमता निर्माण जैसे तीन दृष्टिकोण को साकार करना सुनिश्चित होगा।
गोयल ने कहा कि इससे पीएम गतिशक्ति विजन को अकादमिक क्षमता प्राप्त होगी जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी, बेहतरीन लॉजिस्टिक्स सुनिश्चित होगा और प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक विकास का लाभप्रद दौर शुरू होगा और ‘अमृत काल’ का दृष्टिकोण साकार होगा। यह एमओयू भारत में लॉजिस्टिक्स और अवसंरचना की शानदार गाथा में एक नया अध्याय लिख रहा है। इससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के व्यापक विकास को तेज गति मिलेगी और ‘विश्वगुरु’ बनने की भारत की गौरवमयी यात्रा शुरू होगी।
केंद्रीय रेलवे, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री एवं गति शक्ति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे, मेट्रो और हाई-स्पीड रेलवे पर उत्कृष्ट पाठ्यक्रम पेश करने वाले इस उद्योग केंद्रित एवं नवाचार आधारित विश्वविद्यालय के विशेष महत्व की चर्चा की। उन्होंने विशिष्ट उद्योग/सेक्टर के लिए केंद्रित पाठ्यक्रमों को तैयार करने पर प्रकाश डाला। उदाहरण के लिए, रेलवे पर पांच पाठ्यक्रम विकसित किए गए हैं, जिनमें ट्रैक संबंधी प्रौद्योगिकी, रेल-पहिया तालमेल, थर्मोडायनामिक्स, सिग्नलिंग सिस्टम, इत्यादि पर फोकस किया गया है। जीएसवी में पेश किए जाने वाले केंद्रित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को भविष्य के कार्यबल में शामिल होने के लिए तैयार करेंगे – विमानन उद्योग में सुनिश्चित नौकरियां पाने के लिए जीएसवी में 15000 विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जीएसवी यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय कौशल विकास की आवश्यकताएं निश्चित तौर पर वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।
गति शक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज चौधरी और डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स प्रभाग के संयुक्त सचिव श्री ई. श्रीनिवास ने संबंधित मंत्रियों श्री पीयूष गोयल और श्री अश्विनी वैष्णव की गरिमामयी उपस्थिति में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। डीपीआईआईटी की विशेष सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने भारत द्वारा वर्ष 2030 तक वैश्विक मानकों के अनुरूप अपनी लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन रैंकिंग को बेहतर करने के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। व्यापार करने में सुगमता और जीवनयापन में आसानी के लिए मल्टीमोडल अवसंरचना का विकास करने के लिए भारत सरकार के परिवर्तनकारी सुधारों, और इसके साथ ही एक्जिम व्यापार से संबंधित लॉजिस्टिक्स को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार की प्रमुख पहल अर्थात पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 13 अक्टूबर 2021 को शुरू किया गया था। यह दरअसल अगली पीढ़ी की अवसंरचना का निर्माण करने और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्स परिवेश को विकसित करने के लिए है।
गतिशक्ति विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का मौलिक विचार और दृष्टिकोण है। इसके तहत मुख्य विचार यह था कि मौजूदा अवसंरचना और संसाधनों का उपयोग किया जाए, इसे उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाए, ताकि इसका उपयोग लॉजिस्टिक्स के लिए व्यावसायिक या प्रोफेशनल पाठ्यक्रम तैयार करने में किया जा सके। यह भारत का पहला रेलवे विश्वविद्यालय है और रूस एवं चीन के बाद पूरी दुनिया में तीसरा ऐसा रेलवे विश्वविद्यालय है जिसे दिसंबर 2018 में राष्ट्र को समर्पित किया गया था।
पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान दरअसल एक महत्वपूर्ण साधन या माध्यम है जो आर्थिक और अवसंरचना योजना को सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ एकीकृत करता है। पिछले दो वर्षों में डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएमपी) एवं अलग-अलग पोर्टलों को विकसित करने, इन पोर्टलों पर डेटा एवं गुणवत्ता प्रबंधन, मंत्रालयों और राज्यों को इसमें शामिल करने, और प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, और इसका उपयोग करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अब तक केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 1463 डेटा लेयर को जीआईएस-डेटा आधारित राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल पर अपलोड किया गया है। संबंधित मंत्रालयों के लिए 39 अलग-अलग पोर्टल और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 36 पोर्टल विकसित एवं एकीकृत किए गए हैं। उपर्युक्त 39 संबंधित मंत्रालयों में से 22 मंत्रालय दरअसल सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालय हैं, जिन्हें भी पिछले कुछ महीनों में पीएम गतिशक्ति में शामिल किया गया है। इसने देश भर में क्षेत्रीय विकास दृष्टिकोण की भावना के तहत व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
‘पीएम गतिशक्ति एनएमपी’ के पूरक के तौर पर ‘राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी)’ को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 17 सितंबर 2022 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य सॉफ्ट अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का विकास करना है और जिसमें संबंधित प्रक्रियाओं को बेहतर करना, लॉजिस्टिक्स सेवाओं को बेहतरीन बनाना, डिजिटलीकरण, मानव संसाधन का विकास करना और उन्हें कुशल बनाना शामिल हैं। एनएलपी दरअसल एकीकृत, निर्बाध, बेहतरीन, विश्वसनीय, हरित, टिकाऊ और किफायती लॉजिस्टिक्स नेटवर्क की मदद से देश में आर्थिक विकास की गति तेज करने और कारोबारियों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए सही दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। इससे लॉजिस्टिक्स लागत कम हो जाएगी और लॉजिस्टिक्स सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर हो जाएगा।
व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (सीएलएपी) के तहत राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति में एक लॉजिस्टिक्स मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण रणनीति बनाने की बात कही गई है जिसके तहत लॉजिस्टिक्स प्रोफेशनलों के औपचारीकरण के लिए योग्यता संबंधी रूपरेखा विकसित की जा रही है, और विभिन्न संस्थानों के पाठ्यक्रमों में लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रमुख कार्य क्षेत्रों में व्यापक प्रगति हुई है जिनमें सेवाओं को बेहतर बनाना; स्वदेशी डेटा-आधारित निर्णय सहायता प्रणालियों को विकसित करना, प्रक्रियाओं का डिजिटल एकीकरण; 100% एक्जिम कंटेनरीकृत कार्गो की ट्रैकिंग एवं पता लगाना; सरकार की भागीदारी; मानव संसाधन का विकास करना; लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी; बेहतर एक्जिम लॉजिस्टिक्स; इत्यादि शामिल हैं।
जीएसवी विभिन्न राज्यों और संस्थानों में पीएम गतिशक्ति के ‘ज्ञान केंद्रों’ की अवधारणा बनाने और स्थापना करने के लिए लॉजिस्टिक्स प्रभाग के साथ मिलकर काम करेगा, जो पीएम गतिशक्ति दृष्टिकोण की सर्वोत्तम प्रथाओं, लॉजिस्टिक्स में सर्वोत्तम प्रथाओं के भंडार, भावी अनुसंधान और नवाचार के केंद्रों के रूप में काम करेंगे। ‘हब और स्पोक’ मॉडल का उपयोग करते हुए और केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों एवं राज्यों के प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं या अवसंरचना का उपयोग करते हुए जीएसवी दरअसल लॉजिस्टिक्स प्रभाग के साथ मिलकर काम करेगा और सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही क्षेत्रों के उन संसाधन व्यक्तियों या विशेषज्ञों की एक टीम तैयार करेगा, जिनके पास लॉजिस्टिक्स नीति और इस क्षेत्र में व्यापक व्यावहारिक अनुभव है।
गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) वडोदरा की स्थापना वर्ष 2022 में संसद के एक अधिनियम के जरिए संपूर्ण परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के लिए सर्वोत्तम श्रमबल और प्रतिभा तैयार करने के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय दरअसल रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है और इसे रेलवे, शिपिंग, बंदरगाहों, राजमार्गों, सड़कों, जलमार्गों और विमानन, इत्यादि क्षेत्रों में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मांग-आधारित पाठ्यक्रम को अपना कर और भारतीय रेलवे के सभी केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों की अत्याधुनिक अवसंरचना का उपयोग करके जीएसवी प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, प्रबंधन और नीति में प्रोफेशनलों का एक संसाधन पूल तैयार करेगा जिसमें बहु-विषयक शिक्षण (स्नातक/परास्नातक/डॉक्टरेट), कार्यकारी प्रशिक्षण और अनुसंधान शामिल होगा। जीएसवी भारतीय रेलवे के परिवीक्षाधीन अधिकारियों और सेवारत अधिकारियों का प्रशिक्षण भी सुनिश्चित करेगा। एक उद्योग-संचालित और नवाचार-आधारित विश्वविद्यालय होने के नाते जीएसवी का दुनिया भर के अग्रणी संस्थानों और उद्योगों के साथ सहयोग करने पर काफी ज्यादा फोकस है।
पिछले दो वर्षों में मंत्रालयों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पीएम गतिशक्ति एनएमपी का उपयोग करने के परिणाम अवसंरचना की योजना बनाने में एनएमपी की विविधता और पैमाने को बखूबी दर्शा रहे हैं। विभिन्न हितधारकों के बीच पीएम गतिशक्ति एनएमपी के उपयोग के लाभों से जुड़ी सीख को साझा करना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए जीएसवी जैसी संस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पीएम गतिशक्ति जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी ज्यादा रुचि दिखाई जा रही है, उसे भी जीएसवी के साथ सहयोग करके आगे बढ़ाया जा सकता है, जो दरअसल गतिशक्ति और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना से संबंधित योजना बनाने के लिए एक ज्ञान केंद्र के रूप में काम कर सकता है।