समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। शारदीय नवरात्रि खत्म होने के बाद दसवें दिन दशहरा यानि विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन देशभर में रावण दहन होता है और रावण समेत कुंभकरण व मेघनाथ का पुतला जलाया जाता है. दशहरा के दिन घरों में भी पूजा-पाठ किया जाता है और इस दिन की गई पूजा का खास महत्व होता है. इस पूजा में नवरात्रि में बोए गए जौ का उपयोग किया जाता है. बता दें कि नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने की भी परंपरा है और 9 दिन इन जौ की अच्छे से देखभाल की जाती है. यह हरी-भरी जौ घर में खुशहाली का प्रतीक मानी गई है. दशहरा का पूजा में इनका उपयोग अवश्य किया जाता है. आइए जानते हैं कि कैसे करें दशहरा की पूजा और जौ का उपयोग?
दशहरा की पूजा में जौ का उपयोग
हिंदू धर्म में दशहरा का दिन बड़ा ही खास होता है और इसे अधर्म पर धर्म की जीत के तौर पर मनाया जाता है. हर साल यह त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है जो कि इस बार आज यानि 24 अक्टूबर को है. दशहरा के दिन रावण के साथ ही उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ का भी पुतला जलाया जाता है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन घरों में पूजा-पाठ किया जाता है और नवरात्रि में बोए गए जौ का इस पूजा में उपयोग होता है.
ऐसे करें दशहरा की पूजा
घरों में गोबर के 9 गोले या कंडे बनाए जाते हैं और इस गोलो पर हरी जौ रखी जाती है. इसके बाद घर के सभी इन गोले के पास बैठकर भगवान का ध्यान करते हैं और सही राह पर चलने का आशीर्वाद मांगते हैं. फिर गायत्री मंत्र पढ़ा जाता है और घर के पुरुष अपने कानों के बीच जौ को रखते हैं. कहा जाता है कि इससे सदबुद्धि आती है और घर में सुख-शांति का वास होता है. इसके बाद घर के बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.