‘देश-दुनिया के कुछ लोग नहीं चाहते कि भारत खड़ा हो’- मोहन भागवत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24अक्टूबर। बुराई पर अच्छाई की जीत का का पर्व ‘विजयदशमी’ आज पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. अलग-अलग राज्यो के कई शहरों में रावण दहन को लेकर जोर-शोर से तैयारियां की गई हैं. इसी मौके पर नागपुर में भी आज दशहरे का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विजयदशमी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा, अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाया जा रहा है. 22 जनवरी को मंदिर में भगवान राम (मूर्ति) की स्थापना की जाएगी. उस दिन, हम पूरे देश में अपने मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं.

नागपुर में RSS प्रमुख ने कहा कि भारत में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों ने हमारे देश की विविधता में एकता का अनुभव किया. उन्होंने कहा कि समस्याओं को सुलझाने के लिए दुनिया आज भारत की ओर देख रही है. भागवत ने कहा कि आज के वातावरण में समाज में कलह फैलाने के चले हुए प्रयासों को देखकर बहुत लोग स्वाभाविक रूप से चिंतित हैं. अपने आपको हिन्दू कहलाने वाले, पूजा के कारण जिन्हें मुसलमान, ईसाई कहा जाता है, ऐसे भी लोग मिलते हैं. क्योंकि उनका मानना है कि फितना, फसाद और कितान को छोड़कर सुलह, सलामती एवं अमन पर चलना ही श्रेष्ठता है.

उन्होनें कहा कि समाज विरोधी कुछ लोग अपने आपको सांस्कृतिक मार्क्सवादी यानी जगे हुए कहते हैं लेकिन मार्क्स को भी उन्होंने 1920 दशक से ही भुला रखा है. दुनिया की सभी सुव्यवस्था, मांगल्य, संस्कार, तथा संयम से उनका विरोध है. मुठ्ठी भर लोगों का नियंत्रण सम्पूर्ण मानवजाति पर हो, इसलिए अराजकता और स्वैराचरण का पुरस्कार, प्रचार एवं प्रसार करते हैं. भागवत ने आगे कहा माध्यमों तथा अकादमियों को हाथ में लेकर देशों की शिक्षा, संस्कार, राजनीति व सामाजिक वातावरण को भ्रम व भ्रष्टता का शिकार बनाना उनकी कार्यशैली है. ऐसे वातावरण में असत्य, विपर्यस्त तथा अतिरंजित वृत्त के द्वारा भय, भ्रम तथा द्वेषआसानी से फैलता है.

मणिपुर हिंसा को लेकर की मोहन भागवत ने कहा, मणिपुर में मौजूदा स्थिति को देखते हैं तो एक बात ध्यान में आती है. लगभग एक दशक से शांत मणिपुर में अचानक यह आपसी फूट की आग कैसे लग गई? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमापार के अतिवादी भी थे? अपने अस्तित्व के भविष्य के प्रति आशंकित मणिपुरी मैतेयी समाज और कुकी समाज के इस आपसी संघर्ष को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास क्यों और किसके द्वारा हुआ? वर्षों से वहां पर सबकी समदृष्टि से सेवा करने में लगे संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटने का प्रयास करने में किसका निहित स्वार्थ है?

 

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