समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20नवंबर। हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु धरती का कार्यभार भगवान शिव को सौंपकर चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान चार माह तक शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. फिर चार माह के बाद देवउठनी एकादशी के दिन सोए हुए देव जागते हैं जिसके बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी या देवउत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर 2023 को है. इस दिन घरों में विशेष प्रकार से पूजा-पाठ कर देवताओं को जगाया जाता है और फिर शादी-विवाह की तैयारियां शुरू होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन किस तरह देव जगाए जाते हैं? तो आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पूजन विधि.
देवउठनी एकादशी 2023 पूजन विधि
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह बाद अपनी योग निद्रा से उठते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. हिंदू घरों में इस दिन विशेष तौर पर पूजन किया जाता है और विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु को नींद से उठाया जाता है. इस दिन व्रत करने का भी विशेष महत्व है और सुबह उठकर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
देवउठनी एकादशी की पूजा शाम के समय की जाती है और इस दौरान दीवार पर देवता बनाए जाते हैं. फिर वहां सभी मौसमी फल जैसे कि गन्ना, शकरकंदी और सिंघाड़े आदि रखे जाते हैं. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर घर के सभी सदस्यों के पैरों के निशान बनाए जाते हैं. इसके साथ ही रंगोली बनाने की भी परंपरा है. कहते हैं कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं और खुश होकर घर में प्रवेश करते हैं. फिर थाली बजाकर देवताओं को जगाया जाता है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है.