समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21नवंबर। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों जल्द बाहर निकालने की मांग पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि टनल के अंदर फंसे मजदूरों को कब तक निकाला जाएगा. हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में मजदूरों को बाहर निकालने की मांग की गई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस पंकज पुरोहित की डिवीजन ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को 48 घंटे का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी.
याचिका में क्या कहा गया है?
एनजीओ कृष्णा विहार देहरादून ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि 12 नवंबर से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हुए हैं, लेकिन सरकार उन्हें अभी तक बाहर निकालने में असफल रही है.
याचिका में ये भी कहा गया- सरकार और कार्यदाई संस्था टनल में फंसे लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है. हर दिन उनको निकालने के लिए नए-नए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है- जिन लोगों की वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने और पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराई जाए.
जनहित याचिका में ये भी कहा गया कि टनल के अंदर कार्य प्रारंभ होने से पहले मजदूरों को जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाए जैसे रेस्क्यू पाइप, जनरेटर, मशीन अन्य सामान। टनल के निर्माण के वक्त इस क्षेत्र की भूगर्भीय जांच ढंग से नहीं की गई, जिसकी वजह से इन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी.
बता दें, उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सुरंग हादसे के कारणों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच कराए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर सिलक्यारा सुरंग में ‘एक्जिट टनल’ होती तो उसके अंदर फंसे 41 श्रमिक अब तक निकल चुके होते.
उत्तरकाशी जिले में दुर्घटनास्थल का दौरा करने के बाद यशपाल आर्य ने कहा, ‘घटना को हुए आठ दिन बीत चुके हैं और श्रमिक अभी भी फंसे हुए हैं. यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या परियोजना स्थल पर ‘एक्जिट टनल’ के निर्माण का प्रावधान था और अगर था तो उसे बनाया क्यों नहीं गया.’
उन्होंने कहा कि अगर मौके पर ‘एक्जिट टनल’ होती तो फंसे हुए श्रमिक अब तक बाहर आ चुके होते.