सीबीओ निवेश को प्रोत्साहित करेगा और 2028-29 तक 750 सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना की सुविधा मुहैया कराएगा: हरदीप एस पुरी
सरकार ने सीजीडी क्षेत्र के सीएनजी (परिवहन) और पीएनजी (घरेलू) खंडों में सम्पीड़ित बायो-गैस के अनिवार्य मिश्रण की, की घोषणा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25नवंबर।पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सीबीजी सम्मिश्रण दायित्व (सीबीओ) देश में सम्पीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देगा। सीबीजी के उपयोग को बढ़ावा देने और उसे अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) ने कल सीजीडी क्षेत्र के सीएनजी (परिवहन) और पीएनजी (घरेलू) खंडों में सीबीजी के चरणबद्ध अनिवार्य मिश्रण की शुरुआत की घोषणा की।
सीबीओ के मुख्य उद्देश्य सीजीडी क्षेत्र में सीबीजी की मांग को तेज करना, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के लिए आयात प्रतिस्थापन, विदेशी मुद्रा में बचत, सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना आदि हैं। सीबीओ के प्रमुख परिणामों के बारे में बताते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्साहित करेगा और 2028-29 तक 750 सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना की सुविधा भी प्रदान करेगा।
अन्य बातों के साथ-साथ यह निर्णय लिया गया कि:
(क) वित्त वर्ष 2024-2025 तक सीबीओ स्वैच्छिक रहेगा और अनिवार्य सम्मिश्रण दायित्व वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होगा।
(ख) वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए सीबीओ को कुल सीएनजी/पीएनजी खपत का क्रमशः 1%, 3% और 4% रखा जाएगा। 2028-29 से सीबीओ 5% होगा।
(ग) केंद्रीय भंडार निकाय (सीआरबी) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री से अनुमोदित परिचालन दिशा-निर्देशों के आधार पर सम्मिश्रण अधिदेश की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा।
मक्का से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों, विशेष रूप से कृषि विभाग और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के साथ आने वाले वर्षों में इसे एक प्रमुख फीडस्टॉक बनाने पर भी चर्चा हुई। चर्चा में यह बात भी हुई कि पिछले कुछ वर्षों में मक्के की खेती का क्षेत्रफल, प्रति हेक्टेयर उपज और उत्पादन में वृद्धि हुई है। कृषि विभाग और डीएफपीडी के परामर्श से इस मंत्रालय द्वारा उच्च स्टार्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने, एफ्लाटॉक्सिन को हटाकर मक्का डीडीजीएस (सूखे डिस्टिलर्स ग्रेन सॉलिड्स) की गुणवत्ता में सुधार करने, उच्च स्टार्च के साथ नई बीज किस्मों के तेजी से पंजीकरण के लिए काम शुरू किया गया है। मक्के की खेती को और बढ़ावा देने के लिए बीज कंपनियों के साथ आसवकों (डिस्टिलर) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।