समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8दिसंबर। उत्तर प्रदेश में सब-रजिस्ट्रार पद पर नौकरी के लिए लोक सेवा आयोग से चुने जाने के बाद उर्दू की परीक्षा पास करनी होती थी. ये परीक्षा इसलिए होती थी क्योंकि रजिस्ट्री दस्तावेजों में उर्दू-फारसी शब्दों का इस्तेमाल ज्यादा होता था. अब योगी सरकार की ओर से इन शब्दों को हटाकर हिंदी के आम बोलचाल के शब्दों के इस्तेमाल का निर्देश दिया गया है. इस बदलाव के लिए रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 में संशोधन किया जाएगा. इसके लिए 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट में बदलाव किया जाना है.
1908 रजिस्ट्रेशन एक्ट का कानून अंग्रेजों के दौर में उन्हीं की ओर से बनाया गया था. जिसके चलते सरकारी दस्तावेजों में उर्दू और फारसी के शब्द ज्यादा हैं. इसी वजह से रजिस्ट्रियों में उर्दू और फारसी के शब्दों की तादाद ज्यादा है. 1 सदी से ज्यादा पुराने कानून के चलते आज के जमाने में उन शब्दों को समझना आसान नहीं है. इसके लिए रजिस्ट्री अधिकारियों को ये भाषा सीखनी पड़ती है, इसका पेपर भी देना होता है.
उप-रजिस्ट्रार पद पर नौकरी पाने वालों को लोक सेवा आयोग की तरफ से चुने जाने के बाद उर्दू परीक्षा पास करनी पड़ती है. इस पेपर को पास करने के लिए उर्दू भाषा लिखना, टाइपिंग, व्याकरण और अनुवाद सीखना होता है. भाषा सीखने का कोर्स दो साल का है. इस दौरान लोक सेवा आयोग चुने जाने के बाद कैंडिडेट्स probation पीरियड में रहते हैं.
राज्य ने फैसला लेते हुए कहा है कि आज के दौर में दस्तावेजों में उर्दू और फारसी के इस्तेमाल की कोई जरूरत नहीं है. इससे अधिकारी दो साल की ट्रेनिंग से भी बच जाएंगे. इस परीक्षा की जगह अब कंप्यूटर कोर्स कराया जाएगा.
राज्य सरकार की तरफ इससे जुड़ा प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया जाएगा. बदलावों के बाद आम जनता के लिए सरकारी कागजात की भाषा समझना आसान होगा. इससे रजिस्ट्री, पुलिस स्टेशनों में लिखी शिकायतों के दस्तावेजों में उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल कम होगा.