कोरी क्रीक का पायलट प्रोजेक्ट समुद्री शैवाल की खेती के लिये गेम चेंजर हो सकता है : केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कच्छ, गुजरात में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर पहले राष्ट्रीय सम्मेलन की, की अध्यक्षता
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28जनवरी।केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी (एफएएचडी) मंत्री, परषोत्तम रूपाला ने पूरे भारत में समुद्री शैवाल की खेती को अपनाने और समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर जोर देने के लिये शनिवार को कोटेश्वर (कोरी क्रीक), कच्छ, गुजरात में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। कच्छ सीट से लोकसभा सदस्य विनोद चावड़ा, अब्देसा सीट से विधायक पी. एम. जडेजा, मत्स्य विभाग के सचिव, डॉ अभिलक्ष लिखी, मत्स्य विभाग की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद, मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. जे. के. जेना, सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक अभिषेक पाठक, राष्ट्रीय मत्स्य विकास परिषद के सी ई डॉ. एल.एन. मूर्ति, गुजरात सरकार के निदेशक (एफवाई) नितिन सांगवान और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर मौजूद थे।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री (एफएएचडी) परषोत्तम रूपाला ने प्रतिभागियों, मछुआरों और मछुआरा महिलाओं को संबोधित किया और समुद्री शैवाल की खेती के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने व्यापक उत्पाद अवसरों को ध्यान में रखते हुये मछुआरों और मछुआरा महिलाओं को समुद्री शैवाल की खेती अपनाने के लिये भी प्रोत्साहित किया। परषोत्तम रूपाला ने यह भी कहा कि यह समुद्री शैवाल की खेती पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन है जो समुद्री शैवाल उत्पादों के रोजगार सृजन का एक विकल्प है क्योंकि यह समुद्री उत्पादन में विविधता लाता है और मछली किसानों की आय बढ़ाने के अवसरों को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि यह पारंपरिक मछली पकड़ने पर निर्भरता कम करता है और तटीय समुदायों की आजीविका में विविधता लाता है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि कोरी क्रीक का पायलट प्रोजेक्ट समुद्री शैवाल की खेती के लिये गेम चेंजर हो सकता है। इसलिये, हम यहां समुद्री शैवाल की खेती स्थल पर एकत्र हुये हैं। उन्होंने समुद्री शैवाल की खेती को सफल बनाने के लिये सभी हितधारकों से अपने सुझाव और इनपुट के साथ आगे आने का आह्वान किया।
मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने समुद्री शैवाल की खेती की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने समुद्री शैवाल मूल्य श्रृंखला में चुनौतियों का आकलन करने और समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य समुद्री शैवाल उत्पादन में नवाचार करना, नीतिगत ढांचे, विनियमों पर विचार-विमर्श करना, नेटवर्किंग के अवसरों को सुविधाजनक बनाना और रिश्तों को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी बताया कि समुद्री शैवाल मूल्य श्रृंखला की इंड-टू-इंड मैपिंग और मूल्य श्रृंखला में बाधाओं को संबोधित करना समय की मांग है और हमारा विभाग इसके लिये प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मत्स्य पालन स्टार्ट-अप जैसे कि क्लाइमैक्रू (गुजरात) और पुकाई एक्वाग्री (आंध्र प्रदेश), अनुसंधान संस्थानों अर्थात् आईसीएआर- सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई), सीएसआईआर – सेंट्रल साल्ट मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट,रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) और आईसीएआर- केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) और एनएफडीबी (भारत सरकार) द्वारा स्थापित प्रदर्शनी के विभिन्न स्टालों का दौरा किया। स्टालों में समुद्री शैवाल के मूल्यवर्धित उत्पादों और खेती की प्रक्रियाओं और प्रयुक्त सामग्री का प्रदर्शन किया गया। केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने प्रदर्शनी में भाग लेने वाले उद्यमियों और वैज्ञानिकों से बातचीत की।
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला 27.01.2024 को सीमा सुरक्षा बल की हाई स्पीड नौका से कोरी क्रीक परियोजना स्थल पर गये और समुद्री खरपतवार की खेती के विभिन्न तरीकों काे देखा। समुद्री शैवाल विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गुजरात के कच्छ जिले के कोरी क्रीक में सीएमएफआरआई, सीएसएमसीआरआई और एनएफडीबी पायलट परियोजनाओं की ओर से मोनोलिन, ट्यूब-नेट और राफ्ट भी प्रदर्शित की गयीं। परषोत्तम रूपाला ने अत्याधुनिक समुद्री शैवाल खेती देखी: राफ्ट कल्चर और ट्यूब नेट पायलट आईसीएआर-सीएमएफआरआई, सीएसएमसीआरआई और टीएससी-पर्पल टर्टल के साथ समुद्र से पैदा होने वाले भोज्य पदार्थों को अपनाने के बेहतर तरीके प्रदान कर रहे हैं। गणमान्य लाेगों ने अनुसंधान संस्थानों और निजी उद्यमियों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की और प्रगति, चुनौतियों और आगे की योजनाओं को लेकर बातचीत की।
आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) कोच्चि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिवु, सीएसआईआर-केंद्रीय नमक समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) भावनगर के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. मंगल सिंह राठौड़ और वैज्ञानिकों तथा सीवीड कंपनी, लक्षद्वीप से उद्यमी हरि एस थिवाकर की ओर से ऑन-फील्ड अनुभव अन्य विवरण प्रस्तुत किये गये।
नीतू प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को उनके प्रयासों, उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिये धन्यवाद दिया। उन्होंने समुद्री शैवाल क्षेत्र में हासिल की गयीं उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने लाभार्थियों को पीएमएमएसवाई की विभिन्न परियोजनाओं के स्वीकृति आदेश भी वितरित किये। इनमें नयी फिन फिश हैचरी, नया तालाब आदि शामिल थे। इसके अलावा, घेड फिश एंड फार्म्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को मोनोलाइन के साथ समुद्री शैवाल कल्चर की मोनोलाइन/ ट्यूबनेट मेथड इनपुट सहित स्थापना के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की गयी।
इस मौके पर प्रतिभागी भी शामिल हुये। इनमें मत्स्य किसान, मछुआरे, मत्स्य पालन सहकारी समितियां और राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य प्रबंधन में शामिल सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक और विभिन्न मत्स्य पालन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों आदि के शोधकर्ता शामिल रहे। सम्मेलन में 300 लाभार्थियों ने भाग लिया। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को सर्वोत्तम तरीकों आदि के बारे में जानने और समुद्री शैवाल विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला। सम्मेलन के दौरान पूरे समुदाय के लाभ के लिये मत्स्य पालन क्षेत्र में समुद्री शैवाल की खेती की पहुंच को मजबूत करने और विस्तार देने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया गया।
सम्मेलन के दौरान भिन्न-भिन्न हितधारकों के साथ जागरूकता बढ़ाकर मत्स्य पालन समुदाय में अनुभवों और सफलता के विवरण के प्रस्तुत किये गये। इसने समुद्री शैवाल की खेती को अपनाने के लिये उद्यमियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, किसानों के बीच सहयोग और साझेदारी को समझ बढ़ाने और इसे बढ़ावा देने का एक बेहतर अवसर प्रदान किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सावधानीपूर्वक किये गये बहुआयामी कार्यक्रमों के माध्यम से देश का मत्स्य पालन क्षेत्र प्रगति के पथ पर है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ) की महती योजना है और इसमें समुद्री शैवाल की खेती सहित विभिन्न मत्स्य पालन गतिविधियों के लिये वित्तीय सहायता के प्रावधान शामिल हैं। समुद्री शैवाल को विश्व स्तर पर पोषक तत्वों के एक महत्वपूर्ण स्रोत और कार्बन अलग करने वाले घटक के रूप में देखा जाता है, इसलिये इसका विकास और उपयोग पर्यावरण क्षरण को कम करने, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने और आबादी की खातिर पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये महत्वपूर्ण है। भारत में समुद्री शैवाल का आर्थिक महत्व खेती, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, जलीय कृषि और जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता में इसके योगदान से निर्मित हुआ है। यह रोजगार उत्पन्न करता है, ब्लू इकोनॉमी का समर्थन करता है और निर्यात के अवसर प्रदान करता है।
समुद्री शैवाल का क्षेत्र का विकास पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के साथ मत्स्य पालन विभाग की प्रमुख योजना, पीएमएमएसवाई के लिये प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। इस भ्रूणीय क्षेत्र को विकसित करने की पहल की गयी है। भारत में समुद्री शैवाल का आर्थिक महत्व कृषि, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, जलीय कृषि और जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता में इसके योगदान से निर्मित हुआ है। यह रोजगार उतपन्न करता है, बलू इकोनॉमी का समर्थन करता है और निर्यात के अवसर प्रदान करता है।