हिमाचल में ‘क्रॉस वोटिंग’ मामले में कांग्रेस के बागी नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, स्पीकर के फैसले को दी चुनौती

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 05मार्च। हिमाचल प्रदेश में खड़ा हुआ सियासी तूफान अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. हिमाचल प्रदेश में हाल के राज्यसभा चुनावों में ‘क्रॉस वोटिंग’ के बाद अयोग्य घोषित किये गये 6 कांग्रेस विधायकों ने अपनी अयोग्यता को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

पूर्व विधायकों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के 29 फरवरी के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है. राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने वाले कांग्रेस के ये बागी विधायक बाद में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से अनुपस्थित रहे थे.

कांग्रेस ने की थी अयोग्य ठहराने की मांग
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी. अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चैतन्य शर्मा शामिल हैं. उन्हें अयोग्य घोषित किये जाने के बाद सदन में सदस्यों की मौजूदा संख्या 68 से घटकर 62 रह गई है, जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई.

दल-बदल रोधी कानून के तहत लिया फैसला
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी विधायक को दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है. विधानसभा अध्यक्ष ने एक पीसी के दौरान छह बागी विधायकों की अयोग्यता की घोषणा करते हुए कहा था कि वे दल-बदल रोधी कानून के तहत अयोग्यता के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने व्हिप का उल्लंघन किया और वे तत्काल प्रभाव से सदन के सदस्य नहीं हैं.

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के लिए किया था वोट
हिमाचल प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट देने वाले ये विधायक बजट पर मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे. संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन ने अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी और मांग की थी कि इन सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने और बजट के लिए मतदान करने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाए.

क्या कहता है कानून?
दल-बदल रोधी कानून के तहत, कोई भी निर्वाचित सदस्य जो स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है या अपने राजनीतिक दल द्वारा जारी किसी भी निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करता है या मतदान से अनुपस्थित रहता है, तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है.

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