समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11मार्च। मार्केट में मिलने वाले खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखने के लिए कई तरह के फूड कलर्स का उपयोग किया जाता है, जिसके कारण सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं. फूड कलर्स के इस्तेमाल से बने खाद्य पदार्थों के सेवन से मेटाबॉलिज्म और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. इस दिशा में कर्नाटक सरकार ने सोमवार यानी 11 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया है.
कर्नाटक हेल्थ डिपार्टमेंट ने कॉटन कैंडी और गोबी मंचूरियन में रोडामाइन-बी फूड कलरिंग एजेंट के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी है. उनका कहना है कि इन फूड कलर्स से सेहत को कई नुकसान पहुंचने का खतरा हो सकता है, इसलिए इस पर रोक लगाना जरूरी है.
गोवा और तमिलनाडु के बाद कर्नाटक
स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव का कहना है कि दोबारा कलरिंग एजेंट का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि गोवा और तमिलनाडु के बाद कर्नाटक एक ऐसा राज्य है, जिसने यह कदम उठाया.
पिछले महीने तमिलनाडु और पुडुचेरी सरकार ने कॉटन कैंडी में रसायनों के इस्तेमाल करने पर इस बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम के मुताबिक खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा टेस्ट के लिए भेजे गए कॉटन कैंडी के नमूनों में जहरीले रसायन की मौजूदगी पाई गई थी, जो सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.
171 नमूनों में 106 फेल
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू ने बताया कि गोभी मंचूरियन के 171 सैंपल में से 64 सुरक्षित और 106 असुरक्षित पाए गए. इस बीच कुल 25 कॉटन कैंडी के सैंपल में से 10 सुरक्षित और 15 असुरक्षित पाए गए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि खाद्य पदार्थों में टार्ट्राजिन, कार्मोइसिन, सनसेट येलो और रोडामाइन-1बी जैसे कृत्रिम कलर होने से इनका उपयोग नमूनों में किया गया था.
क्रोनिक और कैंसर का खतरा
रोडामाइन-बी जैसे फूड कलर्स को लेकर कई तरह के हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक रोडामाइन-बी का उपयोग कपड़ों को डाई करने के लिए किया जाता रहा है. कई जगहों पर इसका इस्तेमाल फूड कलर के तौर पर भी किया जाता है. रोडामाइन-बी युक्त चीजों के सेवन से फूड पॉइजनिंग और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. इससे कैंसर होने की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है.