शरणार्थियों ने बताया भारतीय नागरिकता मिलने पर कैसे बदल जाएगी जिंदगी? पीएम मोदी और भारत का किया धन्यवाद

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,15 मई। संशोधित नागरिकता कानून के तहत नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट बुधवार को जारी करने के साथ 14 लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की गई. इसके साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो गई.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से आवेदनों पर ऑनलाइन मंजूरी के बाद 14 लोगों को प्रमाणपत्र सौंपे. नागरिकता मिलने पर शरणार्थियों ने खुशी जाहिर की.

‘अब हम आगे पढ़ सकेंगे’
नागरिकता प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले आवेदकों में से एक भावना ने बताया, ‘मुझे आज नागरिकता मिली है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, अब हम आगे पढ़ सकेंगे. मैं 2014 में यहां आई थी. जब (CAA) पास हुआ था तब बहुत खुशी हुई थी. पाकिस्तान में हम लड़कियां पढ़ नहीं पाती थीं और घर से बाहर नहीं निकल पाती थी, अगर बाहर जाना होता था तो बुर्का पहन कर निकलती थीं.’

‘यह मेरे लिए एक नए जन्म जैसा’
भारत की नागरिकता मिलने पर एक अन्य आवेदक हरीश कुमार ने कहा, ‘मैं पिछले 13-14 वर्षों से दिल्ली में रह रहा हूं. एक सपने के सच होने जैसा एहसास है, मैं बहुत खुश हूं. यह मेरे लिए एक नए जन्म जैसा है. मैं केंद्र सरकार का बहुत धन्यवाद करता हूं.’

‘पीएम मोदी और भारत का धन्यवाद’
वहीं, यशोदा नामक महिला ने कहा, ‘हम 2013 से भारत में रह रहे हैं, हम पाकिस्तान से आए थे. अब स्थिति बेहतर होगी क्योंकि नागरिकता मिल गई है. अब हमारे बच्चे पढ़ सकेंगे. हम नागरिकता के लिए पीएम मोदी और भारत का धन्यवाद करते हैं.’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जताई खुशी
आवेदकों को नागरिकता प्रमाणपत्र मिलने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुशी जताते हुए कहा, ‘आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक दिन है. आज दशकों का इंतजार समाप्त हुआ है और CAA के माध्यम से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़नाओं के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई बहनों-भाइयों को भारत की नागरिकता मिलनी शुरू हो गयी है.’

गैर-मुस्लिम प्रवासियों को मिलेगी नागरिकता
सीएए को 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ना के शिकार गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए दिसंबर 2019 में लाया गया था. इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं.

कानून बनने के बाद, सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई, लेकिन जिन नियमों के तहत भारत की नागरिकता दी जानी थी, उन्हें चार साल से अधिक की देरी के बाद इस साल 11 मार्च को जारी किया गया.

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