स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में बिभव कुमार को तीस हजारी कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31मई। स्वाति मालीवाल केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब खबर आई है कि दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बिभव कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, यानि अब बिभव 13 जून तक पुलिस कस्टडी में रहेंगे. इससे पहले कोर्ट ने बिभव कुमार को तीन दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा था.

यहीं नहीं केजरीवाल के करीबी सहयोगी को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है. अदालत ने बिभव की उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने या नहीं किए जाने के मसले पर अपना फैसला शुक्रवार को सुरक्षित रख लिया, जिसमें स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है. पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने याचिका पर नोटिस जारी किए जाने का इस आधार पर विरोध किया कि यह (याचिका) सुनवाई योग्य नहीं है.

न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने दोनों पक्षों की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘इस मामले के सुनवाई योग्य होने या नहीं होने को लेकर आदेश सुरक्षित रखा जाता है.’ कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन तथा कानून के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है.

वहीं दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि धारा 41ए के अनुपालन संबंधी आपत्ति को अधीनस्थ अदालत ने पहले ही खारिज कर दिया है और इसलिए याचिकाकर्ता को रिट याचिका दायर करने के बजाय संबंधित आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि एक वैकल्पिक समाधान है और याचिकाकर्ता को उसका इस्तेमाल करना चाहिए.

बिभव के वकील ने कोर्ट से क्या कहा?
बिभव की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कानून का भी उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की कोई आवश्यकता या कारण नहीं था. उन्होंने तर्क दिया कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को हल्के में नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी ‘अप्रत्यक्ष उद्देश्य’ से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी अग्रिम जमानत अधीनस्थ अदालत में लंबित थी और उन्होंने जांच में सहयोग करने की स्वयं इच्छा जताई थी.

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