*कुमार राकेश
एग्जिट पोल के परिणामों को लेकर भारत के विपक्षी दलों में गज़ब की घबराहट देखी जा रही हैं.विपक्षी दलों में करो या मरो वाली स्थिति हो गयी हैं.विपक्षी दलों का दावा हैं कि सभी टीवी चैनलों द्वारा दिखाए पूर्वानुमान पीएम् मोदी का किया धरा हैं.चुनाव परिणाम उसके उलट होंगे.लेकिन आजतक और अन्य टीवी चैनलों के एग्जिट पोल के परिणामों के मद्देनज़र अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के चुनाव परिणाम सही साबित हुए.इस पर कोई भी विपक्षी नेताओ की चुप्पी देखने लायक हैं.सांच को आंच नहीं?
एग्जिट पोल के सभी परिणामों का औसत निकाला जाये तो लोक सभा चुनाव परिणाम पीएम् मोदी की पार्टी भाजपा और एनडीए के पक्ष में दिखाई दे रहा हैं.जबकि विपक्षी इंडी गठबंधन को औसत तौर काफी पीछे देखा जा रहा हैं.एनडीए को करीब 360+ सीटें मिलने का अनुमान है,जबकि इंडी गठबंधन को करीब 160 अधिकतम सीटें मिलने की बात कही जा रही है.इंडी गठबंधन का दावा हैं कि उनको 295 प्लस सीटेंमिलेगी.फिर उनमें घबराहट क्यों? सभी विपक्षी दल एक सुर में लोकतंत्र को देख लेने की धमकी क्यों देने लगे हैं? ये एक राष्ट्रीय चिंता व चिंतन का कारण हैं. घबराहट का मतलब हार का अंदेशा हो सकता हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने एग्जिट पोल को “मोदी मीडिया पोल” बताकर कटाक्ष किया,जबकि कांग्रेस की सीटों के बारे में चुप कर गए.जब 295 प्लस के दावे के बारे में पुछा गया तो फिर उन्होंने एक अपरिपक्व नेता की तरह मीडिया को जवाब दिया-सिद्धू मुसावाला 295 का गाना सुना हैं,वही से ये आंकड़ा लिया हैं.फिर उसके बाद मुंह घुमाकर चल दिए.जैसे मीडिया वाले उनके कार्यकर्त्ता हो!
सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा हमने सभी कार्यकर्ताओं को करो या मरो वाली स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा हैं.अपराधी से नेता बने पप्पू यादव ने दावा किया हैं जब लोकतंत्र की मौत होगी तो महाभारत का संग्राम होगा.पप्पू यादव ने कहा हैं कि हमारे कार्यकर्त्ता कफ़न बांधकर तैयार हैं .कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को घेरे में लेने की कोशिश की,लेकिन खुद अपने बुने जाल में उलझ गए.आयोग ने उनसे उनके आरोपों के लेकर सबूत माँगा.रमेश ने आयोग से 7 दिनों का समय माँगा हैं.जयराम रमेश ने केन्द्रीय गृह मंत्री पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश के 150 से ज्यादा डीएम से बातचीत की हैं.नौकरी के बदले जमीन घोटाला के आरोपी राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी धमकी भरे स्वर में कहा हम हर तरह से तैयार हैं ,इसका क्या मतलब ,यदि आप कहीं से जीत जाते हैं तो सब कुछ ठीक ,यदि आप हार गए तो लोकतंत्र में तूफ़ान आ जायेगा.कई आरोपी नेता की संरक्षक टीएमसी नेता ममता बनर्जी की हालत भी सोचनीय बतायी जा रही हैं .इस बार ममता दीदी की राजनीतिक जमीन खिसकने की स्थिति में बतायी जा रही हैं.
मुद्दा रीति का हैं,नीति का हैं,लोक व्यवहार का हैं,सच और झूठ का हैं,हार और जीत का हैं.देखिये भारत की ये कैसी विडंबना हैं-यदि कांग्रेस जैसे दल कर्नाटक ,तेलंगाना,हिमाचल प्रदेश आदि राज्य जीत जातें हैं.उन राज्यों के एग्जिट पोल भी उनके समर्थन में होते हैं तब वही एग्जिट पोल,ईवीएम् और सभी चुनाव व्यवस्था ठीक रहती हैं.आयोग ईमानदार हो जाता हैं.यदि चुनाव परिणाम भाजपा या उनके समर्थक दलों के पक्ष में दिखने लगता हैं या होता हैं तो उन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए सभी बेईमान हो जाते हैं.ये भी सत्यता हैं कि विपक्षी दलों के ज्यादातर नेता अपने कुकर्मों व भ्रष्टाचार कर्मों की वजह से जमानत पर चल रहे हैं लेकिन जमानत के बावजूद अपने सामने ईमानदार लोगो और दलों पर बड़ी बेशर्मी से आरोप लगाते हैं.शायद इसीलिए एक बड़ी चर्चित कहावत बनी हैं-चोरी और सीनाजोरी.परन्तु अब और नहीं.चोरी और सीनाजोरी दोनों नहीं चलेगा.
अब यह नया भारत हैं ,नया जोश हैं ,इतिहास की नयी इबारत हैं .विकास का नया विश्व रिकॉर्ड हैं.देश में भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी उनके समर्थक दलों की सरकार हैं.एग्जिट पोल का भी अनुमान हैं आयेंगे तो मोदी ही.भाजपा नेता नेरन्द्र भाई मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के साथ किसी से भी कोई तुलना नहीं हो सकती.मेरे विचार से नरेन्द्र भाई मोदी इस विश्व के अतुलनीय नेता हैं.अमेरिका की एक एजेंसी मोर्निंग स्टार ने भी लगातार तीन बार नरेन्द्र मोदी को विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता करार दिया हैं .
पिछले दिनों संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने कटाक्ष भाव में दो पंक्तियों से कांग्रेस को परिभाषित किया था-कांग्रेस केपांवों के नीचे जमीन नहीं ,फिर भी उन्हें यकीन नहीं.तभी भाजपा नेता कांग्रेस और उसके नेताओ को घमंडी बोला.गरूर से चूर बोला.घमण्ड से भरपूर गठबंधन बोला.उस दल में सभी घमंड से चूर हैं.
एक आरोपी मुख्यमंत्री शराब घोटाले में जेल जाता हैं.उसे जज की कृपा से 21 दिनों का अंतरिम जमानत मिलती हैं.फिर उसे आत्मसमर्पण करना था,वापस जेल ऐसे जा रहा था कि वो भारत कल्याण के लिए कोई बड़ा कार्य किया हो.चोरी और सीनाजोरी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता.उस व्यक्ति का झूठ और घमंड देखते ही बनता हैं.वही घमंड और गरूर एक दिन पूर्व राहुल गाँधी के अन्दर भीदेखने को मिला.295 आंकड़े का विवरण पूछने पर एक गायक का नाम लेकर मीडिया को दुत्कार दिया.
रही बात मीडिया की.कोई भी मीडिया हाउस किसी भी राजनीतिक दलों के लिए अपनी साख को क्यों खराब करेगा.राजनीतिक दलों का तो आना जाना लगा रहता हैं.लेकिन मीडिया को तो आम जन की सेवा तो करनी ही हैं.इन राजनीतिक दलों की आपसी लड़ाई में मीडिया कोई पक्ष क्यों बने? थोडा बहुत ख़बरों को लेकर विरोध समर्थन अलग बात हैं ,लेकिन किसी भी राजनीतिक दलों को गिराने-उठाने का काम मीडिया का नहीं हैं.जो करेगा वो भरेगा.
वैसे कोई कुछ भी कहे -इस 18वीं लोक सभा चुनाव में -आयेंगे तो मोदी ही !!
*कुमार राकेश,वरिष्ठ पत्रकार व लेखक,भारत व विश्व के कई देशो के लिए पिछले 34 वर्षो से लेखन व पत्रकारिता में सक्रिय,सम्प्रति GlobalGovernanceNews समूह और समग्र भारत मीडिया समूह के सम्पादकीय अध्यक्ष हैं .