अब राहुल गाँधी ने वायनाड छोड़ने का किया फैसला,अब प्रियंका वाड्रा लड़ेगी वायनाड से

इस क्षेत्र से प्रियंका के संसदीय जीवन की पहली शुरुआत संभव!

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 *कुमार राकेश

आख़िरकार केरल के वायनाड में वही हुआ,जो पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था.श्रीमती ईरानी का दावा था कि कांग्रेस नेता राहुल गाँधी वायनाड छोड़ देंगे और रायबरेली के सांसद रहेंगे.लेकिन उस कहानी में  में एक नया अध्याय जुड़ गया,अब लगता हैं कि वायनाड सीट भी कांग्रेस परिवार के पास ही रहेंगी.अब उस सीट से राहुल गाँधी की बहन प्रियंका वाड्रा चुनाव लड़ेगी.अक्रिब 20 वर्षो के बाद प्रियंका वाड्रा का चुनाव लड़ने के मतलब उनकी माता जी सोनिया गाँधी उसके लिए मान गयी हैं.

सूत्रों का दावा हैं कि 17 जून के पहले सोनिया गाँधी ही प्रियंका की संसदीय मार्ग में बहुत बड़ी रोड़ा थी,लेकिन राहुल गाँधी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा हैं.सोनिया को ऐसा पहली बार लगा हैं कि राहुल अब देश का नेता बन गया है,भले ही कांग्रेस को अपने पूर्व विरोधियों से हाथ मिलाने को मजबूर होना पड़ा हो.उल्लेखनीय हैं सपा,राजद,शिवसेना (युबीटी) जैसे दल कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसने से नहीं थकते थे.कहते हैं समय से बड़ा कोई नहीं.समय से बलवान कोई नहीं.

वाम दल की नेता एन्नी राजा ने वायनाड के इस रास्ते को आसन नहीं बताया हैं.जबकि सपा नेता अखिलेश यादव ने राहुल के इस फैसले का दिली तौर पर स्वागत किया है.श्री यादव का कहना हैं कि कांग्रेस का ये कदम सराहनीय हैं

कांग्रेस का ये बड़ा निर्णय हैं.कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने  ऐलान किया कि राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट छोड़ेंगे और यूपी के रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। राहुल की जगह अब प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। श्री खरगे ने कहा कि चूंकि रायबरेली सीट से गांधी-नेहरू परिवार का पुराना नाता है इसलिए राहुल रायबरेली सीट से सांसद बने रहेंगे और प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेगी.वैसे कांग्रेस ने ये मान लिया है प्रियंका लड़ेगी तो जीत भी उनकी होगी.

वायनाड सीट एक मुस्लिम बहुल सीट है,जो कांग्रेस का परम्परगत वोट बैंक कहा जाता हैं.

इंदिरा और कांग्रेस की दक्षिण शुभ माना जाता रहा हैं

गाँधी नेहरु परिवार का देश की जनता की भावनाओ को परखने का प्रयोग चलता रहा हैं.नेहरु के अलावा इंदिरा गाँधी ने भी दक्षिण राज्यों की कई सीटो से लड़ी और चुनाव भी जीती हैं.वैसे कांग्रेस के लिए दक्षिणी राज्य शुभ माने जाते रहे हैं .

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल के बाद  1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 में आंध्र प्रदेश  के मेडक से सांसद बनीं थी। आपातकाल के बाद इंदिरा का देश व्यापी जबरदस्त विरोध था.रायबरेली सीट से जब श्रीमती गांधी का कमबैक करना मुश्किल लग रहा था,तब कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट ने उनके लिए संजीवनी का काम किया। 1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई, जहाँ वह सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ी थी।

कहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

कर्नाटक के बेल्लारी से भी सांसद बनी थीं सोनिया गांधी

इंदिरा गांधी के बाद सोनिया गांधी 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से सांसद बनीं। हालांकि बाद में उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी। राहुल गांधी 2019 और 2024 में केरल की वायनाड सीट से सांसद बने और अब प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी सियासत में एंट्री कर रही हैं। अगर प्रियंका चुनाव जीत जाती हैं तो दोनों भाई बहन पहली बार संसद में मिलकर भाजपा का मुकाबला करेंगे। प्रियंका लंबे समय से राजनीति में सक्रिय तो हैं लेकिन चुनावी राजनीति में पहली बार कदम बढ़ा रही हैं। अब तक वह मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी की चुनाव लड़ने में मदद करते आई हैं। इसके साथ उनके वायनाड से जीतने पर कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत के बीच अच्छा संतुलन भी बना सकती है।

राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा पर भाजपा का हमला

राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने पर भाजपा  ने कांग्रेस पर एक बार फिर परिवारवाद का आरोप लगाया है। यूपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री व सांसद  दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को पता है कि राहुल ने रायबरेली सीट छोड़ी तो दोबारा चुनाव जीत नहीं पाएंगे।  भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने भी राहुल पर वायनाड से भागने का आरोप लगाया।

राहुल का उत्तर प्रदेश में रहने से कांग्रेस के मज़बूत होने का दावा

राहुल गांधी ने कहा कि वायनाड और रायबरेली में से किसी एक को चुनना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने रायबरेली को चुना है लेकिन वो वायनाड को भूलेंगे नहीं। राहुल के साथ प्रियंका गांधी ने भी कहा कि रायबरेली और वायनाड के लोगों की सेवा अब दोनों भाई-बहन मिलकर करेंगे। कांग्रेस दरअसल राहुल के रायबरेली सीट रखने के साथ आगे की रणनीति पर काम कर रही है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट है। इस सीट पर राहुल के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी चुनाव लड़ चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने दावा किया कि राहुल गांधी के रायबरेली सीट रखने से उत्तर प्रदेश  में कांग्रेस मजबूत होगी। 2027 के विधानसभा चुनाव समेत आगे कांग्रेस और इंडी  गठबंधन मिलकर भाजपा को धूल चटा सकती हैं .

राहुल के खिलाफ एलडीएफ से चुनाव लड़ने वाली श्रीमती एनी राजा ने प्रियंका वाड्रा को टिकट दिए जाने को उनकी पार्टी का अंदरूनी फैसला बताया.ववम दलों के उम्मीदवारी को लेकर अभी चुंतन मनन जारी हैं.श्रीमती राजा ने कहा कि राहुल गाँधी जब तक वायनाड से सांसद रहे ,लेकिन इस क्षेत्र के लिए विकास के एक भी काम नहीं किया.

*कुमार राकेश

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