भोले बाबा के दोस्त ने किया बड़ा खुलासा, पत्नी ने कहा- विष्णु अवतार तो प्रचार का उठाया लाभ

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समग्र समाचार सेवा
हाथरस, 12जुलाई। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई भगदड़ की घटना और 121 मौतों के बाद से सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि भोले खासी चर्चा में है। 2 जुलाई को मची भगदड़ में मौतों के बाद पुलिस की ओर से घटना की जांच चल रही है। हादसा भोले बाबा के प्रवचन की समाप्ति के बाद भीड़ बेकाबू हो गई। भोले बाबा का नाम भी यूपी पुलिस की ओर से दर्ज कराए गए एफआईआर में भोले बाबा का नाम तक नहीं है। इस मामले में सूरजपाल के दोस्त और यूपी पुलिस में लंबे समय तक काम करने वाले नाजर सिंह का खुलासा सामने आया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भोले बाबा के दोस्त नाजर सिंह ने दावा किया है कि नौकरी के समय उनका आध्यात्म की तरफ कोई झुकाव नहीं था। नाजर ने खुलासा किया कि उनकी पत्नी ने सबको बताया था कि वह भगवान विष्णु के अवतार हैं। पत्नी के प्रचार का लाभ उन्होंने उठाया। बाबा के दोस्त ने कहा कि भोले बाबा के बच्चे नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपने साले की बच्ची को ही गोद ले लिया था। अचानक उसकी मौत हो गई थी। उस समय प्रचारित किया गया कि भोले बाबा उसे ठीक करेंगे, लेकिन दो दिनों तक पड़ा रहा शव बदबू करने लगा। इसके बाद बच्ची के शव का क्रियाकर्म किया गया था।

नाजर सिंह ने कहा कि भोले बाबा के साले की बेटी उनके साथ ही रहती थी। उसकी मौत के बाद प्रचारित किया गया कि जंतर-मंतर से भोले बाबा उसे ठीक कर देंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। नाजर ने कहा कि एक बार हम बाबा के आश्रम गए थे। वहां देखा कि 30 से 40 लड़कियां नाच रही थी। बाबा ऊपर से देख रहे थे। उनके आश्रम में ज्यादातर महिलाएं ही रहती थी। पुरुष सेवादारों को आश्रम के बाहर ही रखा जाता था। भोले बाबा ने जो तीन सेना बना रखी थी, उसमे भी लड़कियां ही थी। लड़कियों के डांस को लेकर दावा किया गया है कि वह मनोरंजन के लिए इस प्रकार के काम करते थे।

नाजर सिंह ने बताया कि भोले बाबा आश्रम में दूध से नहाता था। इसके बाद इसी दूध से खीर बनाई जाती थी और यही खीर भक्तों को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता था। भोले बाबा के बचपन के दोस्त ने कहा कि बाल्यकाल से ही उसका आध्यात्म की तरफ रुझान नहीं दिखा था। उन्होंने कहा कि कमरे में सूरजपाल खुद को भोले बाबा, भगवान विष्णु कहते थे।

भोले बाबा के दोस्त ने कहा कि बाद के समय में वह प्रवचन करने लगा। 100-150 लोग जुट जाते थे। अब कोई मंच पर बैठेगा तो कुछ न कुछ बोलना शुरू ही कर देगा। बाद के समय में उसके चमत्कारों की चर्चा शुरू कर दी गई। भीड़ बढ़ने लगी। इसके बाद लोग इसके प्रवचनों में भीड़ बढ़ती चली गई।

इनपुट- एजेंसी

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