जम्मू-कश्मीर: उपराज्यपाल की शक्तियों को लेकर गृह मंत्रालय ने जारी किया स्पष्टीकरण, कहा- अधिनियम 2019 में संशोधन नहीं

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14जुलाई। जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल को अब केंद्र सरकार द्वारा और शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिसके तहत अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग समेत कई फैसलों को अब उनकी मंजूरी के बाद ही घाटी की जमीन पर लागू किया जा सकेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी. सरकार के इस फैसले को लेकर अब विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही एक प्रयोगशाला रहा है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर अब केंद्र शासित राज्य है. केंद्र शासित राज्य में जैसी शक्ति एलजी के हाथ में होती है. उसी व्यवस्था के अनुरूप यह कार्य किया गया है.

कितने ताकतवर हुए उपराज्यपाल?
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार अब उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही किसी भी फैसले को जमीन पर उतारा जाएगा. पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा से जुड़े विषयों पर फैसला लेने से पूर्व उपराज्यपाल की मंजूरी अनिवार्य है. केंद्र के इस फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल भी दिल्ली के उपराज्यपाल की तरह अधिकारियों के तबादले से संबंधित फैसले ले सकेंगे. महाधिवक्ता और न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित फैसला लेने से पूर्व अब उपराज्यपाल की अनुमति अनिवार्य होगी, लेकिन पहले ऐसा नहीं था.

कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन नहीं
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस के नियमों के बारे में 13 जुलाई 2024 की अधिसूचना जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन नहीं है. यह ट्रांजेक्शन के नियमों में एक साधारण संशोधन है जो किसी भी संदेह की स्थिति से बचने के लिए जारी किया जाता है. 13 जुलाई 2024 की यह अधिसूचना किसी भी तरह से जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में निहित शक्तियों के संतुलन को नहीं बदलती है. उक्त अधिनियम अगस्त, 2019 में भारत की संसद द्वारा पारित किया गया है और इसे भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा गया है.

अधिनियम की धारा 32 के अनुसार, विधानसभा राज्य सूची में सूचीबद्ध किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है, सिवाय ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ या भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची के. अधिनियम की धारा 53 के अनुसार, उपराज्यपाल, विधानसभा को प्रदत्त शक्तियों के दायरे से बाहर आने वाले ऐसे किसी भी मामले में अपने विवेक से कार्य करेंगे जो अखिल भारतीय सेवाओं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित और कोई अन्य मामला जिसके लिए उन्हें किसी कानून के तहत अपने विवेक से कार्य करने की आवश्यकता है.

विधानसभा की शक्तियों और उपराज्यपाल के कार्यों के लिए उपर्युक्त प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए अधिनियम में स्पष्ट रूप से परिभाषित और चित्रित किया गया है और इसे ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस के नियमों में दर्शाया गया है. यह ध्यान देने योग्य है कि राष्ट्रपति ने अधिनियम की धारा 55 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सरकार नियमों, 2019 (G.S.R 534(E) वर्ष 2020 दिनांक 27.08.2020 गृह मंत्रालय, ट्रांज़ेक्शन ऑफ बिज़नेस नियमों को अधिक सुविधाजनक ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस के लिए जारी किया. वर्तमान अधिसूचना प्रक्रियाओं पर बेहतर स्पष्टता प्रदान करने के लिए है ताकि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के सुचारू रूप से चलाया जा सके.

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