फंसती जा रही ट्रेनी IAS पूजा खेडकर! डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट के लिए किया था नकली राशन कार्ड का इस्तेमाल

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17जुलाई। ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही हैं. विवादों में घिरने के बाद लगातार पूजा के दस्तावेजों को लेकर जांच की जा रही है. इस बार दस्तावेजों से पता चला है कि पूजा ने गलत पते और नकली राशन कार्ड का इस्तेमाल कर डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट हासिल किया था. खेडकर ने यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) अस्पताल को ‘प्लॉट नंबर 53, देहु-आलंदी, तलवड़े’ का पता जमा किया और दावा किया कि यह पिंपरी-चिंचवड़ में उसका घर है. हालांकि, यह पता चला है कि यह पता थर्मोवेरिटा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड का है, जो एक बंद कंपनी है, न कि आवासीय संपत्ति.

दस्तावेजों से यह भी पता चला कि इस कंपनी के पते का इस्तेमाल करके एक नकली राशन कार्ड बनाया गया था, जिसका इस्तेमाल खेडकर ने लोकोमोटर डिसेबिलिटी का दावा करते हुए डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए किया था. 24 अगस्त 2022 को जारी प्रमाण पत्र में कहा गया कि उसके घुटने में सात प्रतिशत विकलांगता है. साथ ही एक ऑडी कार भी उसी थर्मोवेरिटा कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है. पिंपरी-चिंचवड़ नगर पालिका के टैक्स कलेक्शन विभाग के मुताबिक इस कंपनी पर पिछले तीन साल का 2.7 लाख रुपये बकाया हैं.

बनवाया नकली डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट
2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर यूपीएससी भर्ती के लिए कथित तौर पर फर्जी डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट बनाने के मामले में जांच के दायरे में है. सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों के बाद उनकी ओबीसी गैर-क्रीमी-लेयर स्थिति भी जांच के दायरे में आ गई है. इस बीच, पुणे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार शाम को राज्य मुख्यालय को पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर की संपत्ति पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी.

दिलीप खेडकर पर अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. उच्च अधिकारियों की तरफ से निष्कर्षों की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई की उम्मीद है. पुणे के जिला कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के आचरण के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद उसे अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था. पूजा ने एक अलग कार्यालय, आधिकारिक निवास, एक कार और सहायक कर्मचारी की मांग भी की थी, जबकि ट्रेनी अधिकारी इन भत्तों के हकदार नहीं होते हैं.

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