गीता-आधारित भारतीय ज्ञान प्रणाली से भाग्य प्राप्त करने हेतु बंदर दिमाग को भिक्षु मन में परिवर्तित करना होगा : प्रो. एम. एम. गोयल

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समग्र समाचार सेवा
मेरठ, 20 जुलाई। “गीता-आधारित भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) से भाग्य प्राप्त करने हेतु बंदर दिमाग (एआई का दुरुपयोग) को भिक्षु मन में (एस.आई का उपयोग ) परिवर्तित करना होगा I” ये शब्द नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक एवं कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर तथा तीन बार कुलपति रहे प्रो. मदन मोहन गोयल ने कहे। वह अर्थशास्त्र विभाग और आईकेएस सेल द्वारा रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट-ग्रेजुएट कॉलेज मेरठ में आयोजित एक संगोष्ठी में प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता कॉलेज की प्राचार्य प्रो निवेदिता कुमारी ने कीI प्रो. नीना बत्रा विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

प्रो. गोयल ने कहा कि गीता आधारित नीडोनोमिक्स को हितधारकों द्वारा उत्कृष्टता की ओर योग के रूप में समझें ।

प्रो. गोयल ने बताया कि आध्यात्मिकता और भौतिकवाद एक-दूसरे के पूरक हैं और गीता के अध्याय 09 के श्लोक 22 में प्रमाणित आध्यात्मिक रूप से निर्देशित भौतिकवाद रणनीति को उचित ठहराते हैं।

प्रो. गोयल ने समझाया कि हमें नीडोनॉमिक्स के सिद्धांत को समग्रता में समझना और अपनाना होगा जिसमें नीडो-कंजम्पशन, नीडो-सेविंग, नीडो -प्रोडक्शन, नीडो-इन्वेस्टमेंट, नीडो-डिस्ट्रीब्यूशन, परोपकारिता, नीडोट्रेड फॉर ग्लोकलाइजेशन (सोचना वैश्विक स्तर पर और स्थानीय रूप से कार्य करना) शामिल है I

प्रो.गोयल ने कहा कि जरूरतमंद- उपभोग वाले संभावित मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे उत्पादकों को जरूरत-उत्पादन के साथ ऊपर उठाएं।

प्रोफेसर गोयल का मानना है कि उपलब्धियों को हासिल करने के लिए हमें वास्तविकता में जीने की कला में देने की कला के रूप में परोपकारिता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

प्रो. गोयल ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तभी लोगों के अनुकूल और सामाजिक रूप से लाभकारी हो सकती है जब उत्पाद की जरूरत पैदा करके इसे सस्ती और माल की कीमत के लायक बनाकर एनएडब्ल्यू केदृष्टिकोण केअनुसार किया जाए।

प्रो.गोयल नेकहा कि हमें भौतिकवाद और उपभोक्तावाद के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में नीडोनॉमिक्स के साथ-साथ उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों के रूप में स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनने की आवश्यकता है।

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