महमूद अली की पुण्यतिथि: बॉलीवुड के कॉमेडी किंग का जीवन परिचय

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24जुलाई। हमारे फिल्म उद्योग के स्वर्ण युग के दौरान, ऐसे सहायक अभिनेता थे जिनका पारिश्रमिक प्रमुख अभिनेताओं से अधिक था, उनमें से एक थे ‘महमूद अली’ जिनकी मृत्यु तिथि 23 जुलाई को होती है।

जीवन परिचय और करियर
महमूद अली का जन्म 1932 में मुंबई में हुआ था। उनके पिता मुमताज अली फिल्मों में एक अभिनेता और नर्तक थे। मां भी कामकाजी फिल्म कलाकार थीं।
महमूद बचपन में बहुत शरारती और शरारती थे, इसलिए उन्हें बचपन में ही फिल्मों में काम करने का मौका मिला। हुआ यूं कि बॉम्बे टॉकीज़ की फ़िल्म किस्मत में “अशोक कुमार साहब” ने हीरो का किरदार निभाया था। उनके बचपन के रोल के लिए एक शरारती बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने स्टूडियो में एक ऐसे बच्चे को देखा, ये बच्चा था महमूद।

अशोक कुमार साहब ने इस लड़के को उसके माता-पिता की सहमति से फिल्म किस्मत में बाल कलाकार की भूमिका दी। यहीं पर अभिनय का विषय समाप्त हो गया क्योंकि महमूद बड़े हुए और उन्हें अपने जीवन के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने ड्राइवर के रूप में काम किया, अंडे बेचे और अभिनेत्री मीना कुमारी को नृत्य सिखाया। मीना कुमारी जी महमूद के नृत्य शिक्षण कौशल से बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने बी.आर. के निर्देशक से महमूद की सिफारिश की। चोपड़ा”, लेकिन बात नहीं बनी, उन्होंने महमूद अली को गुरु दत्त की फिल्म “प्यासा” में पहला मौका दिया, भूमिका छोटी थी। वह थोड़े छोटे थे लेकिन गुरुदत्त साहब को उनका काम पसंद आया और उन्होंने उन्हें अपनी अगली फिल्म सीआईडी ​​में बड़ा रोल दिया।

फिल्मों में छोटे छोटे रोल करते हुए महमूद अली ने स्वयं की फिल्म कंपनी ” मुमताज फिल्म्स ” की स्थापना कर के ” छोटे नवाब ” फिल्म बना दी। गौरलतब हैं कि राहुल देव बर्मन” के संगीत निर्देशन वाली ये पहली फिल्म थी। मेहमूद और राहुल देव बर्मन की बहुत अच्छी दोस्ती थी, अगली फिल्म ” भूत बंगला ” में राहुल देव बर्मन ने संगीत निर्देशक के साथ अभिनय भी किया था , इन दोनो फिल्मों की मुख्य भूमिका में मेहमूद स्वयं ही थे। इन फिल्मों के बाद उन्हे बड़े बजट और बड़े निर्माता निर्देशक की फिल्मों में अभिनय के अवसर मिलने लगे, बहुत जल्दी ऐसा समय आ गया की हर फिल्मकार चाहने लगा की उसकी फिल्म में मेहमूद हो , इस समय तक जॉनी वाकर के बाद दूसरे पायदान पर मेहमूद हास्य अभिनेता बन चुके थे।
मेहमूद बहुत बड़े स्टार बनने के बाद भी अपने संघर्ष के दिन कभी नही भूले , उन्हे ” वडा पाव ” खाने का शौक था , स्टार बनने के बाद भी कभी कभी वो वहां वडा पाव खाने चले जाते थे जहां शुरू से खाते रहे थे, या स्टूडियो में वहीं से मंगवा कर अपने छोटे कर्मचारियों के साथ वडा पाव की पार्टी करते थे।
एक समय ऐसा भी आया की उनके साथ बड़े बड़े अभिनेता काम करने से मना करने लगे थे क्योंकि, फिल्म की सफलता का श्रेय मेहमूद के नाम हो जाता था , मेहमूद साहब ने दर्शको को खूब हंसाया वही उन्हे रुलाया भी है , फिल्म ,” कुंवारा बाप , मस्ताना , लाखो में एक , छोटी बहन , बेटी बेटे , सांझ और सबेरा ” मेहरबान ये फिल्मे उसका उदाहरण है। सन 2004 में उनका निधन हो गया।

उनकी कुछ यादगार फिल्मे हैं

परवरिश, ससुराल, हमराही, छोटी बहन गोवा , गृहस्थी, दिल तेरा दीवाना , शननम, दो बीघा जमीन, गोदान , बादबान, भरोसा, फरार, दो रोटी, हावड़ा ब्रिज, फागुन , मिस्टर कार्टून एम ए, कागज के फूल, प्यासे पंछी, आरती, दिल एक मंदिर, कहीं प्यार हो ना जाए, पूर्णिमा, बीवी और मकान , प्यार किए जा, औलाद , मैं सुंदर हूं, हमजोली, वारिस ,, काजल, नील कमल, आंखे, गुनाहो का देवता, साधु और शैतान, दो दिल, दादी मां, जिद्दी, लव इन टोकियो , पत्थर के सनम, इज्जत, प्यार ही प्यार, दो फूल, दो कलियां, तुमसे अच्छा कौन है, देस परदेस, ,शतरंज, जवाब, मन मंदिर, नया जमाना, गरम मसाला आदि लंबी लिस्ट हैं। महमूद साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।
प्रस्तुती- सुरेश भीटे

 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.