समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25जुलाई। अमेरिका में पिछले साल ‘टेफ्लॉन फ्लू’ के कई मामलों की रिपोर्ट सामने आई है। 16 जुलाई को प्रकाशित वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी के कारण पिछले साल 250 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। ‘टेफ्लॉन फ्लू’ या पॉलिमर फ्यूम फीवर, एक दुर्लभ बीमारी है जो अत्यधिक गर्म नॉनस्टिक पैन से निकलने वाले धुएं के कारण होती है। यह नाम टेफ्लॉन की नॉनस्टिक कोटिंग के नाम पर रखा गया है, जिसका उपयोग विभिन्न कुकवेयर में किया जाता है।
टेफ्लॉन फ्लू क्या है?
पॉलिमर फ्यूम बुखार या टेफ्लॉन फ्लू, अत्यधिक गर्म पॉलीटेट्राफ्लुओरोएथिलीन (PTFE) से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण होता है। यह बीमारी आमतौर पर नॉनस्टिक कुकवेयर में पाए जाने वाले फ्लोरोकार्बन के थर्मल डिग्रेडेशन के कारण होती है। खराब वेंटिलेशन या सफाई की कमी भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकती है।
टेफ्लॉन फ्लू के लक्षण
टेफ्लॉन फ्लू के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं और इनमें शामिल हैं:
बुखार
सिरदर्द
कंपकंपी
सूखी खांसी
सीने में जकड़न
सांस लेने में कठिनाई
गले और मांसपेशियों में दर्द
अधिकांश मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन इस बीमारी की वजह से मौत या स्थायी विकलांगता अत्यंत दुर्लभ होती है।
टेफ्लॉन के स्वास्थ्य पर प्रभाव
हालांकि आजकल कई टेफ्लॉन-कोटेड बर्तन PFOA फ्री होने का दावा करते हैं, इनमें अभी भी PTFE की कोटिंग लगी होती है, जो कि एक कार्सिनोजन है। इन बर्तनों को गर्म करने पर केमिकल्स टूटकर हवा में उड़ने लगते हैं, जिससे टॉक्सिक फ्यूम्स निकलते हैं। PFOA और PTFE जैसे केमिकल बायोडिग्रेडेबल नहीं होते, इसका मतलब ये है कि ये केमिकल शरीर में जमा होते रहते हैं और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
ICMR की राय
हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने नई डाइटरी गाइडलाइन्स जारी की थीं। इसमें बताया गया कि नॉन-स्टिक बर्तनों में उपयोग होने वाला PTFE, एक सिंथेटिक केमिकल है जो रेस्पिरेटरी समस्याएं, थायरॉयड डिसऑर्डर और कुछ प्रकार के कैंसर का कारण बन सकता है।
नॉनस्टिक बर्तनों के उपयोग में सतर्कता बरतना आवश्यक है, खासकर उच्च तापमान पर इन्हें उपयोग करते समय। यह जानकारी हमें सुरक्षित और स्वस्थ रहने के लिए मदद कर सकती है।