अयोध्या में हार के बाद मिल्कीपुर उपचुनाव को भाजपा ने बनाया नाक का सवाल, जानें जीतकर क्या संदेश देना चाहते हैं योगी?
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जुलाई। उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए निराशाजनक साबित हुए। प्रदेश की कुल 80 सीटों में से भाजपा केवल 33 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने 6 सीटों पर सफलता प्राप्त की, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कोई सीट नहीं जीत पाई।
पीएम मोदी की जीत का अंतर घटा
यहां तक कि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का दावा था कि इस बार वे 10 लाख से अधिक वोटों से जीतेंगे। लेकिन विपक्षी पार्टियां वाराणसी में भी भाजपा के वोटों में सेंध लगाने में सफल रहीं, जिससे पीएम मोदी की जीत का अंतर भी काफी घट गया।
अयोध्या में प्रभु श्रीराम नहीं आए काम
यहां तक कि भाजपा सबसे चर्चित फैजाबाद लोकसभा सीट भी हार गई। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर का निर्माण कराकर भाजपा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में जीत हासिल करना चाहती थी, लेकिन अयोध्या सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी की जीत
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण भाजपा के एजेंडे में था, जिसके नाम पर भाजपा कई दशकों से वोट हासिल करती चली आ रही थी, लेकिन मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा होते ही बयार भाजपा के विपरीत चल पड़ी और इस सामान्य सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद चुनाव जीत गए, जो कि दलित जाति से आते हैं। यहां पर उन्होंने सवर्ण प्रत्याशी को हरा दिया।
भाजपा की हार के कारण
चुनाव नतीजों से यह साबित हो गया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का जनाधार घटा है। इसके कई कारण रहे हैं, जिसे खुद भाजपाइयों ने महसूस किया। इसमें सबसे पहला कारण यह है कि आम आदमी की पहुंच न तो सरकार तक है और न ही भाजपा के नेताओं तक। भाजपा के कार्यकर्ता भी पार्टी के नेताओं के व्यवहार से बड़ी संख्या में नाराज हो गए। इसके अलावा प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी ने युवाओं को सरकार से नाराज कर दिया। साथ ही सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को नहीं भरा जाना। अगर किसी विभाग में नौकरी आई भी तो परीक्षा के समय पेपर लीक हो जाना। इसके अलावा सबसे बड़ा कारण यह रहा कि एक ही जाति के लोगों को शासन-प्रशासन में अधिक पदों पर बैठाया जाना। भाजपा नेताओं के संविधान बदलने वाले बयानों ने आग में घी का काम किया। विपक्षी जनता को यह समझाने में कामयाब रहे कि अगर भाजपा जीत जाएगी तो संविधान पर वार करेगी और आरक्षण खत्म कर देगी।
भोले सिंह का बयान किया आग में घी का काम
अयोध्या में भाजपा के प्रत्याशी ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया और सपा नेता अवधेश प्रसाद ने उनके बयान को जनता तक पहुंचा दिया। यह बात लोगों के मन में बैठ गई। संविधान बदलने की बात भाजपा के राम मंदिर निर्माण कराने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के ऊपर हावी हो गई।
मिल्कीपुर सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद
सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद इसी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक थे। अवधेश प्रसाद कुल नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान वे छह बार मंत्री रहे, जिसमें से चार बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं।
सपा के चार और भाजपा के चार विधायक बने सांसद
उत्तर प्रदेश में कुल नौ विधायक सांसद चुने गए हैं, जिसमें से चार सपा के हैं, चार भाजपा के हैं और एक विधायक राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के हैं। इन सभी सीटों पर अगले महीने उपचुनाव कराए जाने की संभावना है। लोकसभा चुनाव के नतीजों और उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी के अंदर उभरे विरोध के स्वर से यह लगता है कि भाजपा के लिए उपचुनावों में जीत आसान नहीं रहने वाली है। सभी दलों की निगाहें ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर लगी हैं। हालांकि, उपचुनावों के ज्यादातर नतीजे सत्ताधारी दल के पक्ष में जाते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में कई बार नतीजे चौंकाने वाले आ चुके हैं, जिनमें भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है।
मिल्कीपुर सीट बनी भाजपा के नाक का सवाल
भाजपा किसी भी सूरत में मिल्कीपुर चुनाव को जीतकर यह संदेश देना चाहती है कि उनकी साख नहीं गिरी है। पार्टी के अंदर कोई अंदरूनी कलह नहीं है। वे सब एक हैं और जनता उनसे नाराज नहीं है। इसके अलावा, भाजपा अखिलेश यादव के बुलंद हौसले पर अंकुश लगाकर 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक संदेश छोड़ना चाहती है।