नीति आयोग की बैठक से पहले ममता बनर्जी ने दिखाए तेवर, नीति आयोग खत्म करने की मांग

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जुलाई। शनिवार, 27 जुलाई 2024 को दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक होने जा रही है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली पहुंची हैं। हालांकि, बैठक से एक दिन पहले ही उन्होंने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए नीति आयोग को खत्म करने की मांग की है।

नीति आयोग खत्म करो, योजना आयोग वापस लाओ: ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “नीति आयोग खत्म करो और योजना आयोग को वापस लाओ। योजना आयोग नेताजी बोस का आइडिया था। ये सरकार आपसी लड़ाई में गिर जाएगी, इंतजार कीजिए। इस दौरे में मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, इसीलिए किसी नेता से मेरी मुलाकात नहीं हो रही। मैं अरविंद केजरीवाल की पत्नी से मिलना चाहती थी, मैं उनसे बात करूंगी।”

विधानसभा चुनाव पर ममता बनर्जी की भविष्यवाणी
ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “बंगाल में बीजेपी का सूरज डूब रहा है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का गठबंधन जीतेगा। हरियाणा में बीजेपी हारेगी और झारखंड में हेमंत सोरेन फिर जीतेंगे।”

सीएए पर ममता का रुख
सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के सवाल पर ममता बनर्जी ने कहा कि अगर एक सरकार इसे लागू कर सकती है तो दूसरी सरकार इसे वापस भी कर सकती है। उन्होंने कहा कि हाल के चुनाव में इंडिया गठबंधन को 51 फीसदी तो एनडीए को 46 फीसदी वोट मिले। एनडीए का हिस्सा बनने के सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं विचारधारा से समझौता नहीं कर सकती।”

शरणार्थियों पर बयान को लेकर विदेश मंत्रालय की आपत्ति पर ममता का पलटवार
बांग्लादेश में हालिया प्रदर्शन के दौरान शरणार्थियों को लेकर दिए गए अपने बयान पर विदेश मंत्रालय की ओर से आपत्ति जताने पर ममता बनर्जी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के संकल्प के कारण मैं शरणार्थियों को शरण देने के लिए बाध्य हूं। यह दो देशों के बीच का मामला है। मेरे शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया। कुछ बीजेपी के नेताओं ने ऐसा किया तो कुछ बांग्लादेश के लोगों ने। मैं संघीय ढांचे को अच्छे से समझती हूं। मैं सात बार सांसद रही हूं। दो बार केंद्रीय मंत्री रही हूं। मुझे विदेश नीति किसी और से बेहतर पता है। उन्हें मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें व्यवस्था से सीखने की जरूरत है।”

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