जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बैठक: एलएसी और समझौतों के सम्मान पर जोर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जुलाई। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 25 जुलाई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से लाओस की राजधानी वियनतियान में मुलाकात की। यह इस महीने में दोनों मंत्रियों की दूसरी मुलाकात थी, जो आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर आयोजित की गई थी। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थायित्व लाने और पुनर्बहाली के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पूर्व में हुए समझौतों का सम्मान सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।

बैठक का मुख्य उद्देश्य
द्विपक्षीय संबंधों की पुनर्बहाली: जयशंकर ने चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और पुनर्बहाल करने के महत्व पर बल दिया।
एलएसी का सम्मान: जयशंकर ने जोर दिया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पहले के समझौतों का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए।
सैनिकों की वापसी: दोनों नेताओं ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न सैन्य गतिरोध के बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मजबूत मार्गदर्शन देने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।

जयशंकर की प्रतिक्रिया
बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया:
“सीपीसी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना) पोलित ब्यूरो सदस्य और (चीन के) विदेश मंत्री वांग यी से आज वियनतियान में मुलाकात की। हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा जारी रही। सीमा की स्थिति निश्चित रूप से हमारे संबंधों की स्थिति पर प्रतिबिंबित होगी।”
उन्होंने कहा,”वापसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मार्गदर्शन दिए जाने की आवश्यकता पर सहमति बनी। एलएसी और पिछले समझौतों का पूरा सम्मान सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हमारे संबंधों को स्थिर करना हमारे आपसी हित में है। हमें वर्तमान मुद्दों पर उद्देश्य और तत्परता की भावना का रुख रखना चाहिए।”

विदेश मंत्रालय ने बताया कि वियनतियान की बैठक ने दोनों मंत्रियों को चार जुलाई को अस्ताना में अपनी पिछली बैठक के बाद से स्थिति की समीक्षा करने का अवसर दिया। चार जुलाई को, दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के मौके पर कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में मुलाकात की थी।

2020 से जारी गतिरोध
मई 2020 से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध है, और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हटे हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।

भविष्य की योजनाएँ
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने यह निर्णय लिया कि भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की जल्द ही बैठक की जाएगी। बैठक में दोनों मंत्रियों ने वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को अतीत में हुए द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल, और समझौतों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।

इस बैठक के माध्यम से दोनों देशों ने स्पष्ट किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान और सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करना द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता लाने के लिए आवश्यक है। दोनों पक्षों ने यह भी स्वीकार किया कि उनके संबंधों के लिए आपसी सम्मान, आपसी हित, और आपसी संवेदनशीलता महत्वपूर्ण हैं।

इस मुलाकात के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के लिए आने वाले दिनों में क्या कदम उठाए जाते हैं।

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