केंद्रीय बजट ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए अटूट समर्थन को दर्शाया- प्रल्हाद जोशी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जुलाई। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 25 जुलाई शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित “कार्बन बाजारों से मूल्य अनलॉक करना: हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा में तेजी लाना” विषय पर कार्यशाला में केंद्रीय बजट की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान बजट नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के प्रति सरकार के अटूट समर्थन को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जिसमें आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है।

जोशी ने नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बताया कि भारत में सौर, पवन, पनबिजली और बायोमास स्रोतों से 2,109 गीगावॉट की विशाल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है। उन्होंने कहा, “हम स्वच्छ विकल्पों की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

मंत्री ने प्रमुख नीतिगत बदलावों का उल्लेख किया, जिसमें उद्योगों को ऊर्जा दक्षता लक्ष्य से उत्सर्जन लक्ष्य तक ले जाना शामिल है। उन्होंने भारतीय कार्बन बाजार के मोड में बदलाव को उद्योगों के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए मजबूत बाजार प्रोत्साहन का स्रोत बताया।

जोशी ने सौर बैटरियों और पैनलों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क में बदलाव पर भी चर्चा की। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि ये उपाय भारत की वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में स्थिति को मजबूत करेंगे और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगे।

उन्होंने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 19,744 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय और स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण तथा हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। श्री जोशी ने कहा, “हमारा लक्ष्य इस क्षेत्र में एक प्रमुख निर्यातक बनना है।”

कार्यशाला में, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ पांच पैनल चर्चाएं हुईं, जो निम्नलिखित विषयों पर केंद्रित थीं:
अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अवसर
कार्बन बाजार की अखंडता और पारदर्शिता
वैश्विक स्वैच्छिक कार्बन बाजार में भारत की स्थिति का लाभ उठाना
पेरिस समझौते के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग दृष्टिकोण
भारतीय स्वैच्छिक कार्बन बाजार में खरीदारों का परिचालन
इस कार्यक्रम ने स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया।

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