उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश का किया बचाव
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26जुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों को संचालक/मालिक का नाम और पहचान प्रदर्शित करने के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। सरकार ने इस संबंध में एक हलफनामा दायर करते हुए निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध किया है। यूपी सरकार ने कहा कि ये निर्देश कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जारी किए गए थे।
धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता
यूपी सरकार ने हलफनामे में कहा कि निर्देश का मुख्य उद्देश्य यात्रा के दौरान कांवरियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता और सूचित विकल्प सुनिश्चित करना है। सरकार ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कांवरिए अनजाने में कोई गलती न करें, खासकर भोजन के संदर्भ में।
कानून व्यवस्था के हित में निर्णय
हलफनामे में कहा गया है कि लाखों कांवरिए पवित्र जल लेकर नंगे पैर यात्रा कर रहे हैं, और यह निर्देश उन्हीं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए दिया गया था। यह हलफनामा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संदर्भ में दायर किया गया था। पुलिस ने इसे कानून व्यवस्था के हित में जरूरी बताया था।
कई राज्यों में लागू हुआ निर्देश
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इस निर्देश को लागू किया गया था, और उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश भी इसी तरह के निर्देश लेकर आए थे। हालांकि, 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों के अधिकारियों द्वारा जारी इन निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश को नोटिस जारी करते हुए निर्देशों की वैधता पर सवाल उठाया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई आज फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि पारदर्शिता की आवश्यकता के तहत भोजनालयों के संचालकों के नाम और उनके द्वारा परोसे जाने वाले भोजन के प्रकार का खुलासा करना न तो भेदभावपूर्ण है और न ही प्रतिबंधात्मक।
व्यापार पर नहीं लगाया कोई प्रतिबंध
यूपी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, सिवाय मांसाहारी भोजन बेचने पर। हलफनामे में कहा गया है कि मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता एक अतिरिक्त उपाय है ताकि कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचा जा सके।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां
इन निर्देशों को सांसद महुआ मोइत्रा, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और कार्यकर्ता आकार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि ये निर्देश धार्मिक भेदभाव पैदा कर रहे हैं और अधिकारियों की शक्ति पर सवाल उठाते हैं।