विदेश में पढ़ाई करना क्यों ‘जानलेवा’, 5 सालों में 633 भारतीय छात्रों की मौत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27जुलाई। हर साल भारत से हजारों छात्र विदेश में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में यह सपना कई भारतीय छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। पिछले पांच सालों में विदेश में भारतीय छात्रों की मौत की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उनके सुरक्षा के मुद्दे ने गंभीर चिंता जताई है। इस मुद्दे पर संसद में मानसून सत्र के दौरान केरल के सांसद कोडीकुन्नील सुरेश ने सवाल उठाया।

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार (26 जुलाई) को लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में प्राकृतिक कारणों सहित विभिन्न कारणों से विदेश में 633 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। इनमें कनाडा में सबसे अधिक मौतें हुई हैं, इसके बाद अमेरिका (108), ब्रिटेन (58), ऑस्ट्रेलिया (57), रूस (37) और जर्मनी (24) का स्थान है। पाकिस्तान में भी एक छात्र की मौत की सूचना है।

हिंसा के चलते 19 छात्रों की मौत
विदेश मंत्रालय के अनुसार, हिंसा या हमलों के कारण कुल 19 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें कनाडा में (9), अमेरिका में (6), और ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन और किर्गिस्तान में एक-एक हुई हैं। हालांकि, विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि हाल के समय में भारतीय छात्रों पर हिंसा की घटनाओं में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

दूतावास की मदद
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास विदेशी देशों में भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहते हैं। दूतावास इन घटनाओं को संबंधित देश के अधिकारियों के साथ उठाते हैं ताकि उचित जांच की जा सके और दोषियों को सजा मिले। आपातकालीन स्थिति में, भारतीय दूतावास छात्रों को खाना, रहने की जगह, दवाइयां मुहैया कराते हैं और उन्हें भारत वापस लाने की कोशिश करते हैं। हाल ही में बांग्लादेश, यूक्रेन (ऑपरेशन गंगा) और इज़राइल (ऑपरेशन अजय) से भारतीय छात्रों को सुरक्षित भारत लाया गया है।

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि विदेश में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को खुद को दूतावास के साथ रजिस्टर करने और मदद पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि उनकी समस्याओं का समयबद्ध तरीके से समाधान किया जा सके।

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