हमें विकसित भारत के लिए गरीबी से मुक्ति को प्राथमिकता के रूप में लक्ष्य बनाना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। इस महत्वपूर्ण बैठक में 20 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने भाग लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र सरकार के सहयोग और सामूहिक प्रयास पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत ने विकास की गति को बनाए रखा है। 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, और अब 2024 में यह 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और सभी नागरिकों का अब सामूहिक लक्ष्य दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले दशक में हमारे देश ने सामाजिक और आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करके काफी प्रगति की है। भारत जो पहले मुख्य रूप से आयात पर निर्भर था, अब कई उत्पादों का निर्यात करता है। देश ने रक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्ट-अप और खेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ नागरिकों के आत्मविश्वास और उत्साह की सराहना की, जो देश की प्रगति के पीछे प्रेरक शक्ति है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि यह बदलाव का दशक है, जो विभिन्न क्षेत्रों में ढेरों अवसर लेकर आया है। उन्होंने राज्यों को नीति निर्माण और क्रियान्वयन में नवीन दृष्टिकोणों के माध्यम से विकास के लिए अनुकूल नीतियां बनाने और शासन के कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत का विजन विकसित राज्यों के माध्यम से साकार किया जा सकता है और यह आकांक्षा प्रत्येक जिले, ब्लॉक और गांव तक पहुंचनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग द्वारा संचालित आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इसकी सफलता की कुंजी मापन योग्य मापदंडों की निरंतर और ऑनलाइन निगरानी थी, जिससे जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हुई। उन्होंने युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए कौशल और प्रशिक्षण पर भी जोर दिया और बताया कि दुनिया कुशल मानव संसाधन के लिए भारत की ओर अनुकूल रूप से देख रही है।
उन्होंने राज्यों को निवेशक के अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया और नीति आयोग को मापदंडों का एक ‘निवेश-अनुकूल चार्टर’ तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें निवेश आकर्षित करने के लिए लागू की जाने वाली नीतियां, कार्यक्रम और प्रक्रियाएं शामिल होंगी। निवेश आकर्षित करने के लिए उन्होंने कानून और व्यवस्था, सुशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड बनाने को प्रोत्साहित किया और गरीबी से मुक्ति को प्राथमिकता के रूप में लक्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गरीबी से निपटने के लिए कार्यक्रम स्तर पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर काम करना होगा, जिससे जमीनी स्तर से गरीबी को समाप्त किया जा सके और देश में बदलाव लाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों को कृषि में उत्पादकता और विविधीकरण बढ़ाने तथा किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने पर जोर दिया, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो सकता है, किसानों को कम लागत के कारण बेहतर लाभ मिल सकता है और उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार भी उपलब्ध हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने राज्यों को भविष्य में वृद्धों के मुद्दों का समाधान करने के लिए जनसांख्यिकी प्रबंधन योजनाएं शुरू करने के लिए भी प्रोत्साहित किया और सभी स्तरों पर सरकारी अधिकारियों का क्षमता निर्माण करने के लिए प्रेरित किया।
मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने विकसित भारत @2047 के विजन के लिए विभिन्न सुझाव दिए और अपने राज्यों में उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा की। कृषि, शिक्षा और कौशल विकास, उद्यमिता, पेयजल, अनुपालन में कमी, शासन, डिजिटलीकरण, महिला सशक्तिकरण, साइबर सुरक्षा आदि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुझाव और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर प्रकाश डाला गया।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग को बैठक में दिए गए सुझावों का अध्ययन करने का निर्देश दिया और सभी मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सहकारी संघवाद की शक्ति के माध्यम से विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।