महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जियो टैग नियमों में बदलाव

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जुलाई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में पारदर्शिता और निगरानी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने जियो टैग नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं। इन बदलावों की जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी।

राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) का कार्यान्वयन
वित्त वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) को शुरू किया गया था। इसके तहत 1 जनवरी, 2023 से सभी कार्यों (व्यक्तिगत लाभार्थी कार्यों को छोड़कर) में एनएमएमएस ऐप के माध्यम से श्रमिकों की जियो-टैग की गई, समय-मुद्रित तस्वीरों के साथ दिन में दो बार उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है।

यह पहल योजना की नागरिक निगरानी को बढ़ावा देती है और भुगतान प्रक्रिया को तेज करती है। एनएमएमएस ऐप का उपयोग करने की जिम्मेदारी कार्यस्थल पर्यवेक्षक को सौंपी गई है, जो श्रमिकों की उपस्थिति को सही समय पर रिकॉर्ड करता है।

एप्लिकेशन में किए गए संशोधन
फोटो अपलोड: अब कार्यस्थल पर्यवेक्षक पहली उपस्थिति और पहली तस्वीर के चार घंटे बाद दूसरी तस्वीर अपलोड कर सकते हैं।
ऑफ़लाइन मोड की सुविधा: सुबह की उपस्थिति के साथ पहली तस्वीर और दूसरी तस्वीर ऑफ़लाइन मोड में कैप्चर की जा सकती है। यह सुविधा विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां नेटवर्क की समस्या होती है। तस्वीरें एक दिन के भीतर नेटवर्क क्षेत्र में आने पर अपलोड की जा सकती हैं।
मैन्युअल उपस्थिति का विकल्प: असाधारण परिस्थितियों में, जहां उपस्थिति अपलोड नहीं की जा सकती है, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) को मैन्युअल उपस्थिति अपलोड करने की अनुमति दी गई है।

जियो टैग नियम और कार्यस्थल की निगरानी
कार्यस्थल पर श्रमिकों की उपस्थिति केवल तभी दर्ज की जा सकती है जब मोबाइल का स्थान जियो मनरेगा के तहत चरण-I में कैप्चर किए गए कार्यस्थल के जियो कोऑर्डिनेट से 10 मीटर की दूरी के भीतर हो। इससे सुनिश्चित होता है कि कार्यस्थल पर ही उपस्थिति दर्ज की जाए, जिससे धोखाधड़ी के मामलों की संभावना कम होती है।

इन नियमों के बदलाव से मनरेगा के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता आएगी और यह सुनिश्चित होगा कि श्रमिकों को समय पर भुगतान मिले। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण विकास को गति देना और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।

लोकसभा सत्र में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान का लिखित उत्तर।

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