दलित महिला उत्पीड़न का विरोध करने पर झूठे केस में फंसाया, मिल रही धमकियां

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समग्र समाचार सेवा
मथुरा, 31 जुलाई। धर्मलोक कॉलोनी में मई के पहले सप्ताह में दलित महिला को सरेआम बेइज्जत किए जाने का विरोध करना समाजसेवी आर्य अशोक शर्मा एडवोकेट, संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष चाणक्य युवा संगठन को भारी पड़ गया। शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में दी गई शिकायत को न केवल देरी से अर्थात चार दिन बाद क्राइम नंबर 395/2024 अंतर्गत धारा 147, 148, 149, 307, 323, 342, 392, 427 प्च्ब् माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर दर्ज किया बल्कि आरोपियों का मुकदमा भी पहले क्राइम नंबर 387/2024 अंतर्गत धारा 279, 337, 338, 427 आईपीसी दर्ज कर लिया। आखिर एक्सीडेंट का फर्जी मुकदमा दर्ज कर पुलिस क्या करना चाहती थी यह जांच का विषय है। इस दौरान लूटी गई उनकी गाड़ी को भी पुलिस ने आरोपियों से बरामद कर कई दिनों के बाद जीडी में दाखिल कर उनको बिना फर्द बनाए बिना वीडियोग्राफी किए वापस किया। अब आरोपी लगातार अशोक शर्मा और उनके परिवार के सदस्यों को जान से मारने के साथ ही पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन पुलिस अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। आरोपी लगातार सभी साक्ष्यों को नष्ट कर रहे हैं और वादी पर राजीनामा के लिए विभिन्न प्रकार से दबाव बना रहे हैं, वरना हत्या करने की धमकी दे रहे हैं।

शहर कोतवाली क्षेत्र की मंशा पुरी कॉलोनी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आर्य अशोक शर्मा मई के पहले सप्ताह में महोली रोड पर अपने परिचित से मुलाकात करके वापस लौट रहे थे। शहर कोतवाली क्षेत्र की धर्मलोक कॉलोनी में एक बुजुर्ग व्यक्ति रास्ते में सफाई कर रही दलित महिला को जातिसूचक शब्दों के साथ-साथ गाली-गलौज करते हुए बेइज्जत कर रहे थे। आर्य अशोक शर्मा ने बुजुर्ग को ऐसा न करने के लिए कहा तो वह आक्रोशित हो गए और उनके साथ भी गाली-गलौज करने लगे। इस मामले की शिकायत अशोक शर्मा ने शहर कोतवाली की पुलिस चौकी बीएसएस कॉलेज में लिखित प्रार्थना पत्र देकर की और दूसरे दिन पीआरवी को ले जाकर घटनास्थल का निरीक्षण भी कराया। औपचारिकता पूरी करने के बाद पीआरवी वापस आ गई।

अशोक शर्मा ने बताया, वह 11 जून को अपने एक साथी को धर्मलोक कॉलोनी में कथा का न्योता देने के लिए गए, उसी समय धर्मलोक कॉलोनी निवासी अशोक दीक्षित ने अपने एक दर्जन परिजनों और अज्ञात लोगों के साथ मिलकर उनको पकड़ लिया। उनकी गाड़ी और फोन लूटकर जानलेवा हमला किया। लहूलुहान आर्य अशोक शर्मा को वे सभी मारते-पीटते हुए गले में फंदा डालकर घसीटकर घर के अंदर ले गए और वहाँ उनको गुप्त स्थान पर बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा गया। इस बीच उनको निशाना बनाकर जान से मारने की नीयत से फायर भी किया, लेकिन वह बाल-बाल बच गए। आरोपियों ने उनकी लूटी हुई गाड़ी से फर्जी घटना को कुर्सी तोड़कर अंजाम दिया और डायल 112 पुलिस को घर में चोरी की फर्जी सूचना दी और बाद में एक्सीडेंट की तहरीर दी। जैसे-तैसे वह आरोपियों के चंगुल से पुलिस के साथ छूटकर आए और एक राहगीर ट्रैक्टर चालक की मदद से 112 पुलिस को और डीजीपी यूपी को कॉल कर घटना की जानकारी दी। इस हमले में वह बुरी तरह से घायल हो गए थे। उन्होंने घटना की एक लिखित शिकायत 11 जून 2024 को सुबह 6.50 पर कोतवाली में की। पुलिस ने उनका चिकित्सकीय परीक्षण भी उसी दिन कराया और उसी दिन सीटी स्कैन रिपोर्ट भी आ गई। मगर आर्य अशोक शर्मा की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। आरोपियों ने गाड़ी से दुर्घटना किए जाने का एक प्रार्थना पत्र लेकर उलटे आर्य अशोक शर्मा के खिलाफ ही दिनांक 12 जून 2024 को पुलिस से मिलकर फर्जी रिपोर्ट बिना मेडिकल के दर्ज करा दी। यहाँ विचारणीय प्रश्न यह है कि दिनांक 11 जून की घटना को छोड़कर आरोपियों की ही रिपोर्ट 12 जून को दोपहर पुलिस द्वारा दर्ज कर ली गई।

इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। केंद्रीय गृहमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी संपर्क साधा। मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश एवं माननीय न्यायालय मथुरा के संज्ञान के कारण आर्य अशोक शर्मा की रिपोर्ट 15 जून 2024 को 11 जून 2024 के प्रार्थना पत्र पर ही दर्ज हुई। अनेक दिनों के बाद पुलिस ने लूटी हुई गाड़ी को बरामद कर उनको वापस किया लेकिन वीडियोग्राफी में उसकी फर्द नहीं बनाई गई। अब आरोपी उनको लगातार जान से मारने के साथ ही पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं। मगर, पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार ही नहीं कर रही है। आरोपियों की इस हरकत से उनका पूरा परिवार दहशत में है। उन्होंने देश के गृहमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री, मथुरा के एसएसपी समेत अन्य पुलिस और न्यायिक अधिकारियों को पत्र भेजकर अपनी जान-माल की सुरक्षा करने के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

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