अगर सिविक बॉडी खुद ही दिवालिया हो तो कैसे…’, कोचिंग सेंटर में हुई मौतों पर HC ने इन अफसरों को किया तलब

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जुलाई। दिल्ली की राव (RAU) आईएएस (IAS) कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के कारण 3 स्टूडेंट्स की मौत के मामले में बुधवार (31 जुलाई) को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने एमसीडी अधिकारियों को फटकार लगाते हुए एमसीडी कमिश्नर, डीसीपी और जांच अधिकारी (आईओ) को तलब किया।

कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ
हाई कोर्ट ने कहा कि “बिल्डिंग बायलॉज को तो लिबरल किया जा रहा है, पर ड्रेनेज सिस्टम वही सदियों पुराना चल रहा है।” कोर्ट ने केवल जूनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर एमसीडी की खिंचाई की और पूछा कि सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जो सुपरविजन की अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करते।

इन अधिकारियों को किया तलब
कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर और संबंधित इलाके के डीसीपी और आईओ को केस फाइल के साथ शुक्रवार (1 अगस्त) को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एमसीडी ने सबसे जूनियर कर्मचारी को निलंबित कर दिया है, लेकिन बड़े अधिकारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एमसीडी में किसी को पता नहीं कि नाले कहां बह रहे हैं।

घटना का विवरण
घटना की बात करें तो राव आईएएस कोचिंग सेंटर में भारी बारिश के कारण बेसमेंट में पानी भर गया था, जिससे तीन छात्रों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गई। यह घटना न केवल कोचिंग सेंटर की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि एमसीडी और अन्य प्रशासनिक निकायों की उदासीनता को भी दिखाती है।

एमसीडी पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने एमसीडी पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर सिविक बॉडी खुद ही दिवालिया हो तो जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है?” कोर्ट ने इस मुद्दे को गहराई से जांचने की जरूरत पर जोर दिया और प्रशासनिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।

प्रशासन की जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह घटना एक गंभीर प्रशासनिक विफलता का परिणाम है, और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

अगले कदम
कोर्ट की इस फटकार के बाद एमसीडी और संबंधित प्रशासनिक निकायों पर दबाव बढ़ गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को कैसे संभालते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

इस मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी, जहां एमसीडी कमिश्नर, डीसीपी और जांच अधिकारी कोर्ट में पेश होकर मामले की प्रगति और उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देंगे। यह घटना सरकार और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.